आज पूरा देश स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ के उत्साह में सराबोर नजर आ रही है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया। यह 8वां मौका था जब पीएम मोदी ने लाल किला पर ध्वजारोहण किया। इस मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने एक तरफ जहां आतंकवाद के खिलाफ जमकर हमला बोला। वहीं देश की जनता को योजनाओं का उपहार भी दिया।
पीएम मोदी के संबोधन में कहीं गई प्रमुख मुद्दे-
प्रधानमंत्री मोदी ने देश को अपनी जद में ले चुके कोरोना संक्रमण के खिलाफ जारी लड़ाई में अहम भूमिका निभाने वाले चिकित्सक, नर्सेज, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाईकर्मी के कार्यों की मुक्तकंठ से सराहना की। उन्होंने कहा कि वैक्सीन बनाने में जुटे वैज्ञानिक हों या लोगों की सेवा में जुटे सामान्य नागरिक, सभी वंदन के अधिकारी हैं।
इस दौरान टोक्यो ओलंपिक में शामिल हुए खिलाड़ियों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने इनकी भूरि-भूरि प्रशंसा की और इनका उत्साहवर्धन किया।
लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री ने देश में छोटी होती जोतों का भी जिक्र किया। पीएम मोदी ने छोटे किसानों की बढ़ती संख्या को देखते हुए उनके लिए विशेष प्रयास करने की बात कही। उन्होंने कहा कि पहले इसपर ध्यान नहीं दिया गया अब हमारा प्रयास इन छोटे किसानों को आगे ले जाना है। उन्होंने कहा कि छोटा किसान बने देश की शान, ये हमारा सपना है। आने वाले वर्षों में हमें देश के छोटे किसानों की सामूहिक शक्ति को और बढ़ाना होगा और उन्हें नई सुविधाएं देनी होंगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में भारत-पाकिस्तान विभाजन का भी मुद्दा उठाया। पीएम मोदी ने कहा कि हम आजादी का जश्न मनाते हैं, लेकिन बंटवारे का दर्द आज भी हिंदुस्तान के सीने को छलनी करता है। यह पिछली शताब्दी की सबसे बड़ी त्रासदी में से एक है। कल ही देश ने भावुक निर्णय लिया है। अब से 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में याद किया जाएगा।
लाल किले की प्राचीर से 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि संकल्प परिश्रम और पराक्रम की पराकाष्ठा बिना अधूरा रहता है। उन्होंने कहा कि सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास इसी श्रद्धा के साथ हम सब जुड़े हुए हैं। आज लाल किले से वह आवाहन करते हैं कि सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सब का प्रयास हमारे लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि देश की विकास यात्रा में एक नया समय आ गया है। देश आज नए सिरे से स्वयं को परिभाषित कर रहा है और नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ रहा है। आज से शुरू होकर अगले 25 वर्षों की यात्रा भारत के सृजन का अमृत काल होगी। अमृत काल में हमारे संकल्प की सिद्धि आजादी के 100 वर्ष तक हमें ले जाएगी।
देश की बेटियों को बड़ा उपहार देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि उन्हें लाखों बेटियों के संदेश मिलते थे कि वह भी सैनिक स्कूल में पढ़ना चाहती हैं। उनके लिए भी सैनिक स्कूलों के दरवाजे खोले जाएं। उन्होंने कहा कि दो-ढाई साल पहले मिजोरम में इस दिशा में प्रयास हुआ था। मिजोरम के सैनिक स्कूल में पहली बार बेटियों को प्रवेश देने का प्रयोग किया गया था। प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि अब देश के सभी सैनिक स्कूलों को लड़कियों के लिए खोल दिया जाएगा। अब सरकार ने तय किया है कि देश के सभी सैनिक स्कूलों को देश की बेटियों के लिए भी खोल दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में नई ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें खेल को ‘एक्स्ट्रा करिकुलर’ के बजाय मेनस्ट्रीम बनाया गया है। खेलकूद की बात करते हुए उन्होंने कहा कि पहले मां-बाप बच्चों से कहते थे कि खेलते रहोगे तो जीवन बर्बाद कर लोगे, लेकिन अब यह सोच बदल रही है। इस बात का अनुभव इस बार के ओलंपिक में भी हमने किया है। उन्होंने खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ा कर उसे तकनीक से जोड़ने पर बल दिया।
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो पड़ोसी देशों से मिल रही आतंकवाद और विस्तारवाद की चुनौतियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि देश हिम्मत के साथ इनसे लड़ रहा है और इन्हें जवाब भी दे रहा है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार पिछले कई दशकों से अनसुलझी समस्याओं को भी सुलझाने का काम कर रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार अपने दायित्व को लेकर पूरी तरह से सजग है और देश की रक्षा कर रहे प्रहरियों को भी सजग रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश की रक्षा में लगी सेनाओं के हाथ मजबूत करने के लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों और उद्यमियों को रक्षा क्षेत्र में अवसर देने के लिए देश में प्रयास किए जा रहे हैं।