समुद्र में एकसाथ नजर आई भारतीय और सऊदी नौसेना, दिखाए युद्ध के जौहर

भारतीय नौसेना और रॉयल सऊदी नौसेना बल के बीच पहला तीन दिवसीय द्विपक्षीय अभ्यास ‘अल-मोहद अल-हिंदी’ का समुद्री चरण 12 अगस्त को अल जुबैल के तट पर शुरू हुआ। भारतीय नौसेना ने अपने स्वदेशी स्टील्थ विध्वंसक जहाज आईएनएस कोच्चि और दो सी किंग हेलीकॉप्टरों के साथ भाग लिया। रॉयल सऊदी नेवी का प्रतिनिधित्व मिसाइल कार्वेट बद्र ने दो एफएसी के साथ किया।

भारतीय नौसेना के साथ है स्वदेशी स्टील्थ विध्वंसक आईएनएस कोच्चि

अभ्यास के पहले दिन दोनों नौसेनाओं ने असीमित खतरे, समुद्री डकैती रोकने और बोर्डिंग ऑपरेशन के खिलाफ समन्वित कार्रवाई की। दोनों नौसेनाओं के बीच तालमेल और अंतर-संचालन बढ़ाने के लिए क्षितिज से परे हथियार लक्ष्यीकरण सहित कई जटिल अभ्यास किए गए।

रॉयल सऊदी नेवी मिसाइल कार्वेट बद्र और दो एफएसी के साथ और भारतीय नौसेना स्वदेशी स्टील्थ विध्वंसक आईएनएस कोच्चि के साथ अभ्यास में भाग ले रही है। आईएनएस कोच्चि ने 09 अगस्त को पोर्ट अल जुबैल में प्रवेश किया था। रॉयल सऊदी नेवल फोर्स, बॉर्डर गार्ड के अधिकारियों ने भारतीय जहाज का गर्मजोशी से स्वागत किया।

भारतीय नौसेना की सऊदी अरब यात्रा फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग वेस्टर्न फ्लीट रियर एडमिरल अजय कोचर के साथ शुरू हुई थी। उन्होंने 10 अगस्त को रॉयल सऊदी नेवी के ईस्टर्न फ्लीट का दौरा किया। उन्होंने ईस्टर्न फ्लीट के कमांडर रियर एडमिरल माजिद अल काहतानी के साथ मुलाक़ात करके द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की।

रॉयल सऊदी नेवी की ईस्टर्न फ्लीट किंग अब्दुल अजीज नेवल बेस में है, जो सऊदी पूर्वी बेड़े का मुख्यालय भी है। रियर एडमिरल कोचर ने किंग फहद नौसेना अकादमी का भी दौरा किया और कमांडेंट रियर एडमिरल फैसल बिन फहद अल घुफैली से मुलाकात की।

सऊदी अरब साम्राज्य में भारतीय राजदूत डॉ. औसाफ सईद ने अल जुबैल में आईएनएस कोच्चि का दौरा किया, जहां उन्होंने जहाज के कमांडिंग ऑफिसर एडमिरल कोचर के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। 11 अगस्त को भारतीय पश्चिमी बेड़े के कमांडर ने भारतीय राजदूत के साथ सऊदी अरब साम्राज्य के पूर्वी प्रांत के गवर्नर सऊद बिन नायेफ अल सऊद से दम्मम में मुलाकात की।

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भारतीय नौसेना की टीम ने अल जुबैल, सऊदी में किंग अब्दुल अज़ीज़ नौसेना बेस में एक समन्वय सम्मेलन के लिए रॉयल सऊदी नौसेना के समकक्षों के साथ मुलाकात की। इस मौके पर एक-दूसरे की परिचालन प्रथाओं को समझने के लिए दोनों नौसेनाओं के विषय विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान भी आयोजित किए गए।