संसद से लेकर सड़कों तक में हंगामे का पर्याय बन चुके पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए गठित पैनल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। दरअसल, पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा गठित किये गए इस पैनल को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस याचिका में मांग की गई है कि पेगासस जासूसी मामले की जांच राष्ट्रीय स्तर पर होनी चाहिए, जिसे तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा किए जाने की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट में एनजीओ ने दाखिल की याचिका
सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका ग्लोबल विलेज फाउंडेशन नामक एनजीओ ने दायर किया है। याचिका में कहा गया कि इस मुद्दे की गंभीरता और देश के नागरिकों पर उसके प्रभाव तथा सीमा के पार से होने वाले परिणामों को देखते हुए पेगासस मामले की गंभीर जांच की जरूरत है। उसकी अलग-अलग जांच नहीं की जा सकती है, जैसा पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जांच की कोशिश की गई है।
दरअसल, पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में जांच पैनल गठित किया है। राज्य सरकार की इस जांच कमेटी में हाईकोर्ट के दो रिटायर्ड जज भी शामिल हैं। ये कमेटी प। बंगाल में फोन हैकिंग, ट्रैकिंग और फोन रिकॉर्डिंग के आरोपों की जांच करेगी।
याचिका में कहा गया है कि जब सुप्रीम कोर्ट खुद इस मामले की सुनवाई कर रहा है तो आयोग का गठन क्यों किया गया? याचिका में प। बंगाल सरकार के 27 जुलाई के नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की गई है। याचिका में कमीशन पर रोक लगाने का आदेश देने की गुहार भी लगाई गई है।
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आपको बता दें कि पेगासस जासूसी मामले को लेकर संसद से लेकर सडकों तक में जमकर हंगामा मचा हुआ है। इस मामले को लेकर संसद के मानसून सत्र में भी विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। विपक्ष का आरोप है कि मोदी सरकार ने इजरायली स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सहित कई राजनेताओं की जासूसी की। हालांकि मोदी सरकार ने खुद पर लग रहे इन आरोपों को झूठा करार दिया है।