लखनऊ। हरियाली तीज बुधवार 11 अगस्त को डालीगंज के प्रतिष्ठित मनकामेश्वर मठ-मंदिर में मनायी गई। सावन के अवसर पर महादेव का हरे रंग से पूजन कर हरी वस्तुएं भेंट की गई। इसके बाद पारंपरिक रूप से परिसर में झूला डाला गया। महिलाओं ने झूला झूलते हुए सावन ऋतु के गीत भी गाए।

दो दिवसीय हरियाली तीज के पहले दिन मंगलवार 10 अगस्त को महिलाओं की मेंहदी प्रतियोगिता हुई थी। हरियाली तीज पर बुधवार को मनकामेश्व मठ-मंदिर की श्रीमहंत देव्यागिरि ने बताया कि हरियाली तीज को श्रावणी तीज भी कहा जाता है। हरियाली तीज व्रत सुहागिनों के लिए बहुत कल्याणकारी होता है। इस दिन भगवान शिव और माता गौरी की पूजा सौभाग्य के लिए की जाती है। मान्यता के अनुसार हरियाली तीज उत्सव को भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
लोकगीतों के क्रम में ज्योति जासयवाल, उपमा पाण्डेय, सरोजनी जायसवाल, रेनू सिन्हा, पूनम विष्ट के दल ने हरे का श्रंगार कर सबसे पहले महादेव की आराधना करते हुए “शिव शंकर चले कैलाश, बुंदियां पड़न लगीं” गीत सुनाया। सावन पर मंदिर परिसर में डाले गए झूले की स्तुति करते हुए महिला मंडली ने देवी गीत “देवी गीत नीमा की डायरी पे पड़ा हिंडोलना देवी मइया झुलना झूले” गाया। सावन की रिमझिम बरसात का नजारा लोकगीत ‘अरे रामा भींजत मोर चुनरिया, बदरिया बरसे रे हरी’में सुनते ही बना। इस अवसर पर ज्योति कश्यप, रामदुलारी, सुनीता चौहान, मालती किरन कपूर, सुनीता गुप्ता सहित महिला संत कल्याणी गिरि, गौरजा गिरि, ऋतु गिरि सहित अन्य उपस्थित रही।
Sarkari Manthan Hindi News Portal & Magazine