सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के राजकोट में 2020 में कोरोना के अस्पताल में लगी आग से मरीजों की मौत के मामले पर उसके दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करने पर गुजरात सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने गुजरात सरकार को सभी अस्पतालों के फायर आडिट पर दो हफ्ते में रिपोर्ट तलब किया है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अस्पताल सेवा की बजाय लोगों की तकलीफ से कमाई का जरिया बन गए हैं। राज्य सरकार ऐसी छवि न बनाए कि वह इन अस्पतालों को बचा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- भवन नियमों का उल्लंघन किया गया
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से कहा कि वो 8 जुलाई के उस नोटिफिकेशन को वापस लेने पर विचार करे जिसमें उन अस्पतालों को रियायत दी गई है जिन्होंने भवन नियमों का उल्लंघन किया है। कोर्ट ने कहा कि अगर गुजरात सरकार ऐसा नहीं करती है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। गुजरात सरकार ने 30 जून 2022 तक भवन नियमों के पालन में छूट दी गई है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अस्पताल मरीजों के इलाज पर बहुत कम ध्यान देने वाला रियल एस्टेट उद्योग बन गया है। कोर्ट ने कहा अस्पताल संकट में मरीजों को सहायता प्रदान करने के लिए होते हैं, लेकिन यह व्यापक रूप से महसूस किया जाता है कि वह पैसे कमाने की मशीन बन गए हैं, जो मरीजों को परेशानी को बढ़ाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 18 दिसंबर 2020 को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कोरोना का इलाज कर रहे अस्पतालों में नोडल अधिकारी नियुक्त करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने इन अस्पतालों में आग से सुरक्षा का आडिट कराने का निर्देश दिया था । कोर्ट ने कहा था कि सरकार ऐसा तंत्र विकसित करें जिसमें लगातार काम कर रहे डॉक्टरों को क्रमवार ब्रेक दिया जाए।
सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार ने बताया था कि उसने आग से सुरक्षा को लेकर कई कदम उठाए हैं। गुजरात सरकार ने कहा था कि राज्य को कोरोना अस्पतालों में 328 फायर सेफ्टी अफसरों की स्पेशल ड्यूटी लगाई गई है। तब कोर्ट ने कहा था कि राज्य से 214 अस्पतालों में से 68 को अभी भी अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिला है। इस पर राज्य सरकार ध्यान दे। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बाकी राज्यों के हलफनामे पर असंतोष जताते हुए कहा था कि दिल्ली, महाराष्ट्र समेत ज्यादातर राज्यों ने अधूरी जानकारी दी है। कई राज्यों ने तो यह भी जानकारी नहीं दी है कि उनके यहां कोरोना के लिए कुछ कितने विशेष अस्पताल हैं और उनमें आग से सुरक्षा को लेकर क्या स्थिति है।
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सुप्रीम कोर्ट ने 27 नवंबर 2020 को राजकोट के अस्पताल में हुए अग्निकांड पर संज्ञान लेते हुए गुजरात सरकार से रिपोर्ट तलब की थी। कोर्ट ने कोरोना के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते करते हुए कहा था कि महज दिशा-निर्देश तय करने से काम नहीं चलेगा, उन पर अमल सुनिश्चित किया जाना ज़रूरी है। केंद्र इस मामले में आगे बढ़े। ये सुनिश्चित करें कि राज्य सरकारें एसओपी का पालन करें।