कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले सात महीनों से विरोध कर रहे किसानों ने एक बार फिर हिंसक नजर आए। दरअसल, हरियाणा के यमुना नगर में शनिवार को बीजेपी नेताओं की बैठक में किसान संगठनों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन के दौरान किसानो ने अलग-अलग चौहारों पर मोर्चाबंदी करके बीजेपी सरकार के खिलाफ नारेबाजी तो की ही, साथ ही बीजेपी नेताओं की गाड़ी रोकने की कोशिश भी की। जब पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए बैरिकेड्स लगाए तो किसानों ने बैरीकेडिंग तक तोड़ डाली और आगे बढ़ गए। इन दौरान किसानों और पुलिस के बीच में हिंसक झड़प भी हुई।
किसान नेताओं ने मानी अपनी गलती
दरअसल, यमुनानगर में शनिवार को बीजेपी की जिला स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया था। इस बैठक से पहले किसानों ने जमकर विरोध-प्रदर्शन किया। इस बारे में जानकारी देते हुए डीएसपी ने बताया कि कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा का यहां आगमन था और उनकी बैठक थी। स्थानीय विधायकों और मंत्रियों का भी यहां आना था।
उन्होंने बताया, किसानों ने पहले ही कहा था कि हम इनका विरोध करेंगे और किसी भी कीमत पर ये कार्यक्रम नहीं होने देंगे। पुलिस और किसानों का आमना-सामना हुआ है। कुछ लोगों ने बैरिकेड पर ट्रैक्टर चढ़ाया है। किसान नेताओं से बात किया गया है तो उन्होंने कहा कि हम इसके लिए माफी मांगते हैं। हमारे बीच में भी कुछ लोग ऐसे हैं जो बात नहीं मानते हैं। कानूनी कार्रवाई की जाएगी। किसानों ने गिरफ्तारियां दी हैं।
बीजेपी की जिला स्तरीय बैठक में हरियाणा के परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा, शिक्षा मंत्री कंवर लाल गुज्जर, पूर्व केंद्रीय मंत्री रतनलाल समेत कई नेता पहुंच रहे हैं। किसानों ने नए कृषि कानूनों को लेकर बीजेपी के इन नेताओं के विरोध में पुलिस बैरिकेडिंग तोड़ दी।
उधर किसान नेता राकेश टिकैत ने एक बयान में कहा कि भारत सरकार बातचीत करना चाहती है तो हम तैयार हैं। 22 तारीख से हमारा दिल्ली जाने का कार्यक्रम रहेगा। 22 जुलाई से संसद सत्र शुरू होगा। 22 जुलाई से हमारे 200 लोग संसद के पास धरना देने जाएंगे। मैंने ये नहीं कहा था कि कृषि क़ानूनों को लेकर UN (संयुक्त राष्ट्र) जाएंगे। हमने कहा था कि 26 जनवरी के घटना की निष्पक्ष जांच हो जाए। अगर यहां की एजेंसी जांच नहीं कर रही है तो क्या हम UN में जाएं?
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बता दें, ये किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साल से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सैकड़ों किसान दिल्ली बॉर्डर पर पिछले साल 26 नवंबर से जमे हुए हैं। इनकी मांग है कि बिना शर्त नए कृषि कानूनों को रद्द किया जाए।