सोनू सूद ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील की है कि कुछ लोग उनका नाम खराब करने की नीयत से उनके खिलाफ काम कर रहे हैं। जबकि वो सिर्फ लोगों की मदद करने के लिए अपना दिन रात एक किए हुए हैं। मामला सोनू सूद के खिलाफ दायर एक याचिका का है जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट से अपील की गई थी कि सोनू सूद और एमएलए जीशान सिद्दीकी को उस वक्त कोविड 19 की रेमडेसिवर जैसी जीवन बचाने वाली दवाएं कैसे मिलीं जब इन दवाओं की बाजार में भारी कमी थी।
इस मामले में हाईकोर्ट ने 15 दिन पहले मुंबई पुलिस को जांच के आदेश दिए थे और कहा था कि पुलिस पता लगाए कि इन प्रभावशाली लोगों ने ये दवाएं कैसे हासिल कीं।
नाम खराब करने की साजिश
सोनू सूद अब चाहते हैं कि हाईकोर्ट इस केस में दखल दे क्योंकि उन्होंने इन दवाओं को लोगों के लिए ऐसे वक्त में मुहैया करवाया था जब ये दवाएं कहीं नहीं मिल रही थीं और इससे काफी लोगों की जिंदगी को बचाया गया।
सोनू सूद का दावा है कि उन्होंने इन दवाओं को मुहैया करने का फैसला तब लिया जब लोग लगातार उनसे संपर्क कर रहे थे और उन्हें दवाएं नहीं मिल पा रही थीं क्योंकि बाजार में इनकी भारी कमी थी और हर किसी के लिए इन्हें पाना करीब-करीब नामुमकिन हो गया था।
हाईकोर्ट का कड़ा रुख
हालांकि हाईकोर्ट इस बारे में पुलिस को आदेश दे चुका है कि जांच करके ये पता लगाएं कि किस चैनल से इन लोगों ने ये दवाएं पाईं, वो वैध थीं या नहीं या उनमें नकली दवाएं तो शामिल नहीं थीं। दवा के लिए मारामारी में इस तरह की दवाएं तो मरीजों को नहीं दे दी गईं जिनसे नुकसान हुआ। सोनू ने बताया है कि उन्होंने मुंबई के गोरगांव स्थित लाइफलाइन मेडिकेयर हॉस्पिटल से ये दवाएं ली थीं जिन्हें जानी मानी कंपनी सिप्ला ने बनाया था।
सोनू सूद के खिलाफ ये याचिका नीलेश नवलखा नाम के एक शख्स ने दाखिल की है। सोनू का मानना है कि उनके नाम को खराब करने के लिए इस तरह की याचिका दाखिल की गई है। वो और उनका एनजीओ साफ नीयत से सिर्फ लोगों की मदद करने के लिए काम कर रहा है।
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आज होगी सुनवाई
हाईकोर्ट में आज इस केस की सुनवाई होगी। हालांकि कोर्ट से खुद ही इस बात की जांच का आदेश दिया है ऐसे में सोनू को इस मामले में कितनी राहत कोर्ट से मिलेगी इस पर सभी कि निगाहें लगी हुई हैं।