पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसक घटनाओं की जांच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष करेंगे। यह आदेश आज कलकत्ता हाईकोर्ट ने दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य में कानून व्यवस्था की बदहाली के लिए सरकार की आलोचना की और कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने का दायित्व ममता सरकार का है।

हाईकोर्ट ने ममता सरकार को दी जिम्मेदारी
दरअसल, अधिवक्ता प्रियंका टिबड़ेवाल ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें राज्य में लगातार हिंसक घटनाओं को देखते हुए हाई कोर्ट से हस्तक्षेप करने और निष्पक्ष जांच कराने की मांग की गई थी। इस मामले में मुख्य कार्यकारी न्यायाधीश राजेश बिंदल के नेतृत्व में गठित पांच सदस्यीय जजों की बेंच सुनवाई कर रही है।
शुक्रवार को हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था बहाल रखने और नागरिकों में सुरक्षा व्यवस्था का विश्वास बनाए रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। राज्य सरकार शुरुआत से ही दावा कर रही है कि कोई हिंसा नहीं हुई है लेकिन हकीकत हमारे सामने हैं। राज्य सरकार की रिपोर्ट कुछ और है। इसके बाद पांच जजों की बेंच ने स्पष्ट कर दिया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष बंगाल में चुनावी हिंसा के आरोपों की जांच करेंगे।
यह भी पढ़ें: शुभेंदु ने मुकुल रॉय के खिलाफ उठाया बड़ा कदम, विधानसभा अध्यक्ष से की सख्त मांग
उल्लेखनीय है कि भाजपा बंगाल में चुनाव के दौरान कम से कम 40 लोगों की हत्या का दावा कर रही है। जबकि जान बचाने के लिए 17 हजार से अधिक लोग कथित तौर पर घर छोड़कर दूसरे राज्यों में शरण लिए हुए हैं।
Sarkari Manthan Hindi News Portal & Magazine