बीते दिनों यास चक्रवात की वजह से हुई तबाही की वजह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बुलाई गई समीक्षा बैठक के बाद से बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय मोदी सरकार के निशाने पर आ गए हैं। वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मुख्य सचिव को बचाने की पूरी कोशिश कर रही हैं। इसी क्रम में केंद्र सरकार द्वारा मुख्य सचिव के स्थानांतरण की कार्यवाही के खिलाफ ममता बनर्जी ने बड़ा दांव खेला है।

मुख्य सचिव को लेकर ममता ने उठाया बड़ा कदम
दरअसल, ममता बनर्जी ने अलपन बंदोपाध्याय को अपना मुख्य सलाहकार बनाने का ऐलान किया है। मंगलवार से अलपन बंदोपाध्याय मुख्य सलाहकार के तौर पर काम शुरू करेंगे। वहीं, मुख्य सचिव पद की जिम्मेदारी हरिकृष्ण द्विवेदी को सौंपी गई है।
सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में ममता बनर्जी ने कहा कि मुख्य सचिव को तीन महीने का एक्सटेंशन देने की अनुमति के लिए 10 मई पत्र को पत्र लिखा था। कोविड की स्थिति को देखते हुए अलपन बंदोपाध्याय को तीन महीने के विस्तार की अनुमति देने की अपील की गई थी।
पत्रकारों से बातचीत में ममता बनर्जी ने कहा कि कलाईकुंडा में पीएम ने कभी नहीं कहा कि मेरे साथ हवाई समीक्षा के लिए आओ। पीएम कलाईकुंडा पहुंचे ताकि वो दिल्ली के लिए रवाना हो सकें। उसके बाद क्या हुआ आप सभी जानते हैं।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार के कार्मिक मंत्रालय ने शुक्रवार को बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को दिल्ली तलब किया था, अलपन को सोमवार सुबह 10 बजे दिल्ली बुलाया गया था। लेकिन वो सोमवार को नहीं पहुंचे और बंगाल में ही अपने काम में जुटे रहे।
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यह हंगामा बीते दिनों पीएम मोदी द्वारा बुलाई गई उस समीक्षा बैठक के बाद शुरू हुआ है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी को ममता के साथ यास चक्रवात की वजह से हुए नुकसान पर चर्चा करना था। आरोप है कि इस बैठक में ममता बनर्जी अपने मुख्य के साथ 30 मिनट देरी से आई और अन्य बैठकों का हवाला देते हुए तुरंत वहां से चली गई।
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