पश्चिम बंगाल के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र की सतारूढ़ उद्धव सरकार पर चाबुक चलाया है। सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव सरकार द्वारा दिए गए मराठा आरक्षण को आड़े हाथों लेते हुए रद्द कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बिलकुल भी रास नहीं आया और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बड़ी मांग कर दी है। दरअसल, उद्धव ठाकरे ने कोर्ट के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए पीएम मोदी से इस मामले में दखल देने के लिए कहा है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसे से खफा हुए उद्धव ठाकरे
महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को आरक्षण दिए जाने वाले कानून को सुप्रीम कोर्ट की ओर से रद्द करना दुर्भाग्यपूर्ण है। हमने मराठा समुदाय के स्वाभिमान के लिए सर्वसम्मति से इसे पास किया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र ऐसा कानून नहीं बना सकता है। अब प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ही कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम पीएम मोदी से यह अनुरोध करते हैं कि वे इस मामले में दखल देकर कानून बना मराठाओं को आरक्षण दें। सांभाजी राजे मराठा आरक्षण को लेकर एप्वाइंटमेंट मांग रहे हैं। क्यों नहीं उन्होंने अभी तक एप्वाइंटमेंट दिया है? उद्धव ने आगे कहा कि मराठा समुदाय को इंसाफ दिलाने के लिए लड़ाई लड़ते रहेंगे जब तक कि उन्हें यह नहीं मिल जाता।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र की शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश आर सरकारी नौकरियों मराठा समुदाय को आरक्षण देने संबंधी राज्य के कानून को असंवैधानिक करार देते हुए बुधवार को इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि 1992 में मंडल फैसले के तहत निर्धारित 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा के उल्लंघन के लिए कोई असाधारण परिस्थिति नहीं है।
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कोर्ट ने आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत पर तय करने के 1992 के मंडल फैसले (इंदिरा साहनी फैसले) को पुनर्विचार के लिए वृहद पीठ के पास भेजने से भी इनकार कर दिया और कहा कि विभिन्न फैसलों में इसे कई बार बरकरार रखा है।