उत्तर प्रदेश जल निगम से हटाये जा रहे 5327 कर्मचारियों के पक्ष में गुरुवार को सैकड़ों कर्मचारियों ने जल निगम मुख्यालय का मुख्य द्वार घेरकर प्रदर्शन किया। जल निगम मुख्यालय पर घेराव के कारण छोटे बड़े वाहनों को अंदर जाने नहीं दिया गया। इस दौरान कई अधिकारी भी मुख्य द्वार से वापस हुए।
जल निगम के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार ने एक निर्देश के बाद जल निगम में कार्यरत नियमित 5327 कर्मचारियों को सरप्लस बताते हुए दूसरे विभागों में भेजने के लिए प्रदेश सरकार को विचार करने को पत्र लिखा। इससे पहले जल निगम के मुख्य द्वार पर चार माह के वेतन के लिए प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों के पैरों तले जमीन खिसक गयी।
विगत दो सप्ताह से कर्मचारियों के प्रदर्शन ने अब उग्र रुप धारण कर लिया है। कर्मचारियों ने जल निगम मुख्यालय के मुख्य द्वार को ही घेर लिया है। जिससे मुख्यालय पहुंचने वाले अधिकारी से अपनी मांगों को लेकर वे वार्ता कर सकें। मुख्यालय के घेराव की सूचना पाने के बाद जल निगम के आला अधिकारियों ने आवागमन ही बंद कर दिया है, वहीं जो अधिकारी आ भी रहे हैं, वे मुख्य द्वार के बाहर से ही वापस हो जा रहे है।
उप्र जल निगम जल संस्थान मजदूर यूनियन के महामंत्री सतीश कुमार ने कहा कि ये कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि पहले तो छह माह हो गये वेतन नहीं दिया गया। अब निर्णय करते हुए दूसरे विभागों में भेजने की तैयारी की जा रही है। इसका हर कर्मचारी पूरजोर तरीके से विरोध करता है। वर्तमान व्यवस्था में नियमित कर्मचारियों को दूसरे विभाग में नियमित कर भेजा जायेगा लेकिन उसे वहां का काम सीखने में बहुत वक्त लगेगा। जल निगम प्रशासन का ये रवैया सही नहीं है।
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उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में होली त्यौहार सिर पर है और जल निगम का कर्मचारी भूखे प्यासे प्रदर्शन कर रहा है। प्रशासन शासन को कोई सुधी नहीं है। अब तो मुख्यमंत्री ही कर्मचारियों के प्रकरण को सीधे तौर पर देखेंगे तो कोई सुनवाई होनी तय होगी।