कांग्रेस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक बार फिर 8 दिसंबर 2016 में हुई नोटबंदी का मुद्दा उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आड़े हाथों लिया है। दरअसल, मनमोहन सिंह ने देश में फ़ैली बेरोजगारी को नोटबंदी से जोड़ते हुए बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि बिना सोचे-विचारे लिए गए उस एक फैसले की वजह से देश में बेरोजगारी चरम पर है और अनौपचारिक क्षेत्र खस्ताहाल है।

मनमोहन सिंह ने किया विकास सम्मलेन का उद्घाटन
दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मंगलवार को आर्थिक विषयों के ‘थिंक टैंक’ राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज द्वारा डिजिटल माध्यम से आयोजित विकास सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में पहुंचे। यहां विकास सम्मलेन का उद्घाटन करने के बाद उन्होंने वहां उपस्थित लोगों को संबोधित किया।
अपने संबोधन में डॉ मनमोहन सिंह ने कहा कि बढ़ते वित्तीय संकट को छिपाने के लिए भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा किए गए अस्थायी उपाय के चलते आसन्न ऋण संकट से छोटे और मंझोले (उद्योग) क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं। वर्तमान की केंद्र सरकार इस स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ रही है लेकिन हम इसकी अनदेखी नहीं कर सके। इस दौरान उन्होंने राज्यों से नियमित रूप से परामर्श नहीं करने को लेकर भी मोदी सरकार की आलोचना की।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि इस केंद्र सरकार को लेकर अहम बात यह है कि ये फैसले लेने से पहले राज्यों से बात नहीं करते। बल्कि निर्णय लेने के बाद राज्यों पर उसके पालन को लेकर दबाव बनाते हैं। उन्होने कहा कि यह हालात सिर्फ नोटबंदी को लेकर नहीं है। जीएसटी लागू करने की बात हो या फिर कोरोना वायरस के समय लागू किए गए लॉकडाउन का मुद्दा हो, हर बार केंद्र ने राज्यों से चर्चा कर करनी जरूरी नहीं समझी।
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उल्लेखनीय है कि इस आर्थिक सम्मेलन का आयोजन एक दृष्टि पत्र पेश करने के लिए किया गया है, जो केरल में विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के विकास पर विचारों का एक प्रारूप है।
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