केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा पर गश्त बढ़ाने के लिए 18 सीमा गश्ती ट्रैक बनाने की मंजूरी दी है। इससे भारतीय सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) को चीन से सटे दुर्गम इलाकों में बुनियादी ढांचा विकसित करने में मदद मिलेगी। भारत-चीन सीमा पर मौजूदा समय में आईटीबीपी की 180 सीमा चौकियां हैं।
18 गश्ती ट्रैक का निर्माण विकास परियोजना का हिस्सा
भारत-चीन सीमा पर गश्त बढ़ाने के मद्देनजर 1,162 करोड़ रुपये की लागत से महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा विकसित किये जाने को मंजूरी दी गई है। प्रस्ताव के अनुसार चीन सीमा के 600 किमी. के क्षेत्र में 18 सीमा गश्ती ट्रैक बनाये जायेंगे। भारत-चीन के बीच 3,488 किलोमीटर नियंत्रण रेखा है जिसमें 1,126 किलोमीटर अरुणाचल प्रदेश में है। शेष 2,362 किमी. सीमा सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और लद्दाख में है।
अरुणाचल प्रदेश से लगी सीमा पर 18 गश्ती ट्रैक का निर्माण सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी ढांचा विकास परियोजना का हिस्सा है। ट्रैक का निर्माण होने से आईटीबीपी की सीमा पर सतर्कता बनाए रखने की क्षमता बढ़ेगी। इनका उपयोग सेना मुख्य सड़कों के विकल्प के तौर पर भी कर सकती है।
अरुणाचल प्रदेश से लगी सीमा पर 18 गश्ती ट्रैक का निर्माण करने के लिए गृह मंत्रालय का यह प्रस्ताव पिछले एक साल से लंबित था। सुरक्षा और पर्यावरण की मंजूरी के कारण कई परियोजनाओं के निर्माण में देरी हुई है लेकिन लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध के मद्देनजर अधिकांश परियोजनाओं को मंजूरी दे दी गई है। भारत-चीन सीमा पर चीन की सक्रियता बढ़ने के बाद भारत ने भी सुरक्षा तंत्र मजबूत करने का काम शुरू कर दिया है। चीन सीमा से लगे बेदांग में आईटीबीपी हेलीपैड बनाने जा रही है। हेलीपैड बनने के बाद जवानों को खाद्य सामग्री समेत अन्य जरूरी चीजों की आसानी से आपूर्ति हो सकेगी।
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समुद्र तल से 15 हजार फीट की ऊंचाई पर दावे में भारत-चीन सीमा पर आईटीबीपी की अंतिम चौकी है। इससे पहले बेदांग नामक स्थान पर हेलीपैड का निर्माण किया जाएगा। वहां हेलीपैड बनने से आईटीबीपी समेत सभी भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को राहत मिलेगी।