उन्नाव जनपद एक बार फिर आपराधिक घटना की वजह से मीडिया की सुर्ख़ियों में छा गया है। दरअसल, यहां के असोहा थानाक्षेत्र में तीन नाबालिग बच्चियां मरणासन्न हालत में जंगल में पड़ी मिली हैं। बताया जा रहा है कि इनमें से दो बच्चियों की मौत हो चुकी है, जबकि तीसरी अस्पताल में जिन्दगी के लिए जंग लड़ती नजर आ रही है। इस मामले ने योगी सरकार को विपक्षी पार्टियों के निशाने पर लाकर खड़ा कर दिया है।
नाबालिग बच्चियों का शव मिलने से मचा हड़कंप
जानकारी के मुताबिक, असोहा थानाक्षेत्र के ग्राम पंचायत पाठकपुर के मजरे बबुरहा में रहने वाली कोमल 15 वर्ष पुत्री संतोष पासी चचेरी बहन काजल 14 वर्ष पुत्री सूरजपाल पासी व रोशनी 16 वर्ष पुत्री सूर्य बली तीनों बुधवार दोपहर 3:00 बजे सूर्य बली के बबुरा नाला के पास स्थित खेत से पशुओं के लिए हरा चारा लेने गई थी।
तीनों किशोरियों के शाम तक खेत से ना लौटने पर परिजन परेशान हुए और उनकी तलाश में खेत पर गए। खेत पर तीनों किशोरियों के ना मिलने पर सभी सहम गए और अनहोनी की आशंका पर तीनों की तलाश ग्रामीणों के साथ मिलकर शुरू की गई। भाई विशाल ने बताया कि तलाश के दौरान रात में खेत से सटे जंगल में स्थित झाड़ियों के पास चचेरी बहनों के साथ तीनों किशोरियां बेसुध हालत में हाथ-पैर बंधे हुए मिली।
बताया जा रहा है कि ये नाबालिग लड़कियां खेत में चारा लेने गई थी। वारदात को अंजाम देने वाले ने तीनों युवती के हाथ-पैर उनके ही कपड़ों के उसे बांध दिए थे। बेसुध मिली तीन किशोरियों में दो को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया है, जबकि एक अभी भी जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है। मृतक किशोरियां बुआ और भतीजी हैं जबकि जिन्दगी के लिए जंग लड़ने वाली चरेरी बहन है।
जीवित बची नाबालिग बच्ची का इलाज छह सदस्यीय विशेषज्ञ डॉक्टरों का पैनल कर रहा है और अभी उसे एनआईसीयू वार्ड के वेंटीलेटर पर रखा गया है। यह बात गुरुवार को रीजेंसी अस्पताल के जनसम्पर्क अधिकारी परमजीत अरोड़ा ने पत्रकारों को दी।
उन्होंने बताया कि किशोरी के उसके शरीर पर कोई भी चोटों के निशान नहीं मिले हैं। इलाज कर रहे डाक्टरों अभी भी यह पता नहीं लगा सके हैं कि किस प्रकार का जहरीला पदार्थ सेवन कराया गया है या कुछ ओर कारण है। उन्होंने बताया कि किशोरी का इलाज डॉक्टर रश्मि कपूर के साथ छह सदस्यीय टीम द्वारा किया जा रहा है। इसके साथ ही पीआईसीयू व एनआईसीयू की टीमें भी लगी हैं। वर्तमान में एनआईसीयू वार्ड के वेंटीलेटर पर किशोरी है और अभी हालत यथास्थिति है।
परिवार को किया गया नजरबंद
घटना की जानकारी मिलने के बाद योगी सरकार काफी सख्त नजर आ रही है। लखनऊ के अधिकारी असोहा में डेरा जमाए हैं। मृतका के परिजनों को किसी भी मीडिया कर्मी से मिलने नहीं दिया जा रहा है। उनके घर पर भारी पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई है। क्षेत्रीय लोग इस हत्याकांड पर आक्रोशित आकर सड़कों पर बीती रात से उतरे हैं।
घटना ने लिया सियासी रूप
समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, बसपा के बड़े नेताओं ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार की पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। फिलहाल दो बच्चियों का पोस्टमार्टम जिला अस्पताल में चल रहा है। जबकि तीसरी बच्ची कानपुर के रीजेंसी अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रही है। पोस्टमार्टम हाउस से लेकर असोहा में पिता के घर तक राजनीतिक दलों के लोगों का तांता लगा है। प्रशासन भी घटनाक्रम पर पूरी निगाह बनाए हुए हैं।
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जानकारों की माने तो भारत की राजनीति में दलितों के नए नेता चंद्रशेखर रावण आने की भी सुगबुगाहट चल रही है। जल्द पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद काफी हद तक स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। अस्पताल में इलाज करा रही बच्ची भी स्वस्थ होकर जल्द ही नए खुलासे करेगी। खबर लिखे जाने तक दोनों नाबालिग बच्चियों का पोस्टमार्टम कर रहे। डॉक्टरों के पैनल ने बताया कि उच्च अधिकारियों को घटना के संबंध में बता दिया गया है। आप उन्हीं से बात करें।
प्रदेश में जंगलराज : सपा
सपा प्रवक्ता सुनील साजन ने उन्नाव की घटना पर प्रेदश की योगी सरकार को घेरते हुए कहा कि, यहां महिलाओं की सुरक्षा को लेकर दावे बहुत किये जाते है लेकिन हकीकत में महिलाएं असुरक्षित हैं। सूबे में जंगलराज है, अपराधी बेलगाम हैं और दलितों पर अत्याचार नहीं थम रहे हैं। उन्नाव में दलित बच्चियों की हत्या सूबे जंगलराज की दास्तां बयां कर रही है।