हैदराबाद। तेलंगाना हाईकोर्ट ने वकील वामन राव और नागमणि की हत्या की कड़ा विरोध जताते हुए हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं ने आज हाईकोर्ट के गेट के निकट धरना दिया। विरोध जता रहे कई अधिवक्ताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
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धरनारत अधिवक्ताओं ने “हिन्दुस्थान समाचार” से बातचीत में कहा कि वे इस घटना की हाईकोर्ट के पीठासीन न्यायाधीश से जांच करवाने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने इस मामले में आरोपितों को बचाने वाले कुछ राजनेताओं और पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने की भी मांग की है। उन्होंने इस मामले में स्थानीय तेलंगाना राष्ट्र समिति के नेता पुत्ता मधु का हाथ होने की आशंका जताई है। अधिवक्ताओं ने कहा कि मंथनी पुलिस थाने में शेलाम रंगाया नामक व्यक्ति की हिरासत में मौत को लेकर अधिवक्ता दंपति ने हत्या किये जाने से पूर्व ही हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हिमा कोहली को पत्र लिखा था। पत्र में शिकायत की गई कि पुलिस इस मामले में उनको प्रताड़ित कर रही है।
मुख्य न्यायाधीश हिमा कोहली और न्यायाधीश विजय सेना रेड्डी की खंडपीठ ने इस पत्र को याचिका रूप में स्वीकार करते हुए गत 8 फरवरी को आदेश जारी किया था। इस आदेश में अधिवक्ता दंपति के खिलाफ किसी प्रकार की कोई कार्यवाही न करने की पुलिस को हिदायत दी गई थी।
याचिका में बताया गया कि गत वर्ष 22 मई को मंथनी पुलिस के रंगाया को गिरफ्तार किया था। पुलिस की प्रताड़ना के चलते रंगाया की 25 मई को हिरासत में मौत हो गई। घटना को लेकर पत्र लिखने के कारण वामन राव के खिलाफ पुलिस ने मामला भी दर्ज किया था। धरने पर बैठे अधिवक्ताओं ने बताया कि हत्या के शिकार हुए अधिवक्ता दंपति पर झूठे और फर्जी केस दर्ज किए गए थे, जिसमें एससी एसटी प्रताड़ना निरोधक अधिनियम के तहत झूठे मामले भी दर्ज हैं। इन मामलों को लेकर खंडपीठ द्वारा पुलिस को आदेश जारी करने के 10 दिन के भीतर ही अधिवक्ता दंपति की हत्या कर दी गई।
इस बीच आज दोपहर तेलंगाना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हिमा कोहली ने इस हत्या को गंभीरता से लिया है। उनकी अध्यक्षता वाली बेंच ने स्पष्ट किया कि इस मामले को स्व संज्ञान माना जाएगा। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को हत्या पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। सूत्रों के अनुसार यह सुझाव दिया गया है कि जांच को एक निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर पूरा किया जाए और दोषियों पर तुरंत कार्रवाई की जाए। मुख्य न्यायाधीश ने कहा है कि वकीलों की हत्या से सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे हैं और सरकार को अपनी कार्रवाई से पुलिस विभाग पर भरोसा बनाए रखना चाहिए।
आज अदालत ने कहा कि यह घटना “बेहद चौंकाने वाली” थी और यह घटना सभी के लिए सदमे की तरह है। वकीलों की हत्या के मामले में सुनवाई 1 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई है।