कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन की मजबूती अब और बढ़ गई है। दरअसल, अब महात्मा गांधी की पोती और राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय की अध्यक्ष वयोवृद्ध तारा गांधी भट्टाचार्य ने भी कृषि कानूनों के खिलाफ कदम बढाया है। दिल्ली की सीमाओं पर जारी इस आंदोलन को समर्थन देने के लिए तारा गांधी शनिवार को गाजीपुर बॉर्डर पहुंचीं।
महात्मा गांधी की पोती ने किसानों से की अपील
इस दौरान तारा गांधी ने किसानों से यह आंदोलन शांतिपूर्वक चलाने की अपील करते हुए कहा कि मैं यहां तुम्हारे लिए प्रार्थना करने आई हूं। उन्होंने कहा कि हम गांधी संस्थान से जुड़े हैं। हम गाजीपुर बॉर्डर पर किसी राजनैतिक दल के लिए कतई नहीं आए। हम आज यहां उस किसान के लिए आए हैं जिसने जिंदगी भर खिलाया। उन्होंने सीधे किसानों से कहा कि आपकी वजह से हम जिंदा हैं। किसान के हित में ही देश और हमारा हित है।
महात्मा गांधी की पोती तारा गांधी ने कहा कि यह क्रांति की धरती है। देश की आजादी के लिए पहली क्रांति 1857 में मेरठ से ही हुई थी। बापू की पोती ने कहा कि इतने दिनों से चल रहा किसानों का आंदोलन अद्भुत है। वयोवृद्ध अवस्था में यहां आपके (किसानों) लिए प्रार्थना करने आई हूं। मैं चाहती हूं कि जो भी हो, जैसे भी हो, किसानों का भला होना चाहिए।
महात्मा गांधी की पोती ने कहा कि किसानों की तपस्या किसी से छिपी नहीं है और यह बात भी किसी को बताने की जरूरत नहीं है कि किसान हित में ही देश का हित है और हम सबका हित है। इसलिए सरकार किसानों के हितों का ध्यान रखें और इतने दिनों से दिल्ली की दहलीज पर पड़े अन्नदाताओं की सुध लें। उन्होंने कहा कि किसानों को हिंसा की भाषा की आवश्यकता नहीं है। सत्य शांत रहकर खुद ही बोलता है। आज गाजीपुर बॉर्डर आकर मेरा जीवन सफल हो गया।
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दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर किसान मंच से आंदोलनकारियों ने महात्मा गांधी की पोती तारा गांधी को बड़े ध्यान से सुना। इस मौके पर भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने तारा गांधी को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया।