पश्चिम बंगाल में कुछ ही महीनों बाद होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के बीच अब एक नए मुद्दे पर सियासी जंग शुरू हो गई है। दरअसल, दोनों ही दल नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती भुनाने की फिराक में जुट गए हैं। एक जरह जहां केंद्र सरकार ने सुभाष चन्द्र बोस की इस जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है। वहीं, तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व वाली ममता बनर्जी सरकार ने इस जयंती को देश नायक दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया है।
नेताजी की जयंती भुनाने की कोशिश में बीजेपी और तृणमूल
दरअसल, केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय की ओर से जानकारी दी गई है कि 23 जनवरी को नेता जी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पराक्रम दिवस के तौर पर मनाई जाएगी। केंद्र सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन भी किया गया है। इसमें राजनाथ सिंह, अमित शाह, ममता बनर्जी, जगदीप धनकड़, मिथुन चक्रवर्ती, काजोल और एआर रहमान सहित 84 लोग सदस्य के तौर पर शामिल किए गए हैं।
वहीं बंगाल में ममता सरकार ने नेता जी की जयंती को देश नायक दिवस के तौर पर मनाने का ऐलान किया है। इसके साथ ही ममता सरकार ने ऐलान किया है कि जयंती वाले दिन बंगाल में योजना आयोग जैसे संगठन की स्थापना भी की जाएगी। इस बात का ऐलान करते हुए ममता बनर्जी ने कहा था कि केंद्र सरकार ने नेताजी के योजना आयोग को भंग कर दिया। हम नेताजी के विजन को दुनिया के बीच ले जाने के लिए बंगाल योजना आयोग का गठन करेंगे।
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आपको बता दें कि नेता जी सुभाष चंद्र बोस को लेकर ममता बनर्जी पहले भी बीजेपी सरकार पर हमला करती रही हैं। इसके पहले ममता बनर्जी ने सुभाष चन्द्र बोस की जयंती को राष्ट्रीय अवकाश घोषित की मांग की थी। अपनी इस मांग को लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र भी लिखा था। हालांकि अभी तक केंद्र सरकार ने ममता बनर्जी की इस चिट्ठी का कोई उचित उत्तर नहीं दिया है।