बीते वर्ष की फरवरी माह में भारत के पुलवामा में हुए आतंकी हमले को अंजाम देने वाले आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के खिलाफ अदालत ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। दरअसल, पाकिस्तान की आतंकवाद रोधी अदालत ने पंजाब पुलिस से कहा है कि संयुक्त राष्ट्र से वैश्विक आतंकवादी के रूप में घोषित जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को आतंकी वित्त पोषण से जुड़े मामले में 18 जनवरी तक गिरफ्तार किया जाना चाहिए। अजहर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट आतंकवाद रोधी अदालत (एटीसी) गुजरांवाला ने जारी किया है।
अजहर के खिलाफ पाकिस्तान की अदालत ने सुनाया बड़ा फैसला
अदालत के एक अधिकारी ने शनिवार को कहा कि एटीसी गुजरांवाला न्यायाधीश नताशा नसीम सुप्रा ने शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान सीटीडी को जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को 18 जनवरी तक गिरफ्तार करने और अदालत में पेश करने का निर्देश दिया। अजहर आतंकी वित्तपोषण और आतंकी सामग्री के प्रचार-प्रसार के आरोपों का सामना कर रहा है।
आपको बता दें कि फरवरी 2019 जैश-ए-मोहम्मद के एक भीषण फिदायिन हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गये और कई अन्य बुरी तरह घायल हो गये थे। जैश के आतंकवादी ने विस्फोटकों से लदे वाहन से सीआरपीएफ जवानों को ले जा रही बस को टक्कर मार दी थी, जिसमें कम से कम 44 जवान शहीद हो गये थे।
भारत के पुलवामा में हुए इस आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की पंजाब पुलिस ने आतंकी वित्तपोषण के मामले में धरपकड़ शुरू की थी और प्रतिबंधित जैश-ए-मोहम्मद के छह आतंकवादियों को गुजरांवाला से गिरफ्तार किया था। अजहर इस मामले में मुकदमे का सामना कर रहा है।
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पुलवामा हमले के बाद बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते पाकिस्तान सरकार ने जैश-ए-मोहम्मद के सरगना के बेटे और भाई सहित आतंकी संगठन के 100 से अधिक सदस्यों को गिरफ्तार किया था। सरकार ने जैश-ए-मोहम्मद, मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के जमात उद दावा और फलाहाई इंसानियत फाउंडेशन की संपत्तियों, मदरसों और मस्जिदों का नियंत्रण भी अपने हाथ में ले लिया था।