वर्ष 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगा मामले ने उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में एक बार फिर कोहराम मचा दिया है। इस कोहराम की वजह सूबे की सत्तारूढ़ योगी सरकार द्वारा दायर की गई वह याचिका है, जिसमें सरकार ने अपने तीन विधायकों के खिलाफ दायर मुकदमों में वापस लेने की मांग की है। योगी सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती को रास नहीं आया और उन्होंने योगी सरकार के सामने एक बड़ी मांग रख दी है।
मायावती ने ट्वीट कर योगी सरकार से की बागी मांग
दरअसल, मायावती ने शुक्रवार को योगी सरकार के इस फैसले को आड़े हाथों लेते हुए योगी सरकार पर जमकर आरोप लगाए हैं। उन्होंने योगी सरकार से मांग की है कि सभी राजनीतिक दलों के नेताओं पर राजनीतिक द्वेष से लगाए गए मुक़दमे वापस लिए जाए।
मायावती ने शुक्रवार को ट्विटर के माध्यम से लिखा कि यूपी में बीजेपी के लोगों के ऊपर ‘राजनैतिक द्वेष’ की भावना से दर्ज मुकदमे वापिस होने के साथ ही, सभी विपक्षी पार्टियों के लोगों पर भी ऐसे दर्ज मुकदमे भी जरूर वापिस होने चाहिए। बीएसपी की यह मांग।
आपको बता दें कि योगी सरकार ने बीजेपी विधायकों के खिलाफ दर्ज मुक़दमे वापस लिए जाने की मांग करते हुए अदालत में याचिका दायर की थी। इन नेताओं की फेहरिस्त में संगीत सोम, सुरेश राणा और कपिल देव अग्रवाल के साथ-साथ साध्वी प्राची का नाम शामिल है। इन नेताओं पर भड़काऊ भाषण देने और प्रशासन के खिलाफ हिंसक रुख अपनाने का आरोप दर्ज है।
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इस बारे में जानकारी देते हुए मुजफ्फरनगर के काउंसिल राजीव शर्मा ने बताया कि सभी बीजेपी नेताओं के खिलाफ दर्ज मामले को वापस लेने की राज्य सरकार ने कोर्ट में याचिका दी है।
7 सितंबर 2013 में नंगला मंदौड़ की महापंचायत के बाद इन नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। बीजेपी नेताओं पर भड़काऊ भाषण, धारा 144 का उल्लंघन, आगजनी और तोड़फोड़ की धाराओं में केस दर्ज किया गया था। मुजफ्फरनगर में सचिन और गौरव की हत्या के बाद यहां महापंचायत बुलाई गई थी।