आर्थिक संकट से जूझ रही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान महंगाई को लेकर दावे चाहे कितने भी करें, लेकिन जमीनी हकीकत पर इसकी सच्चाई इसके उलट ही है। कर्ज में डूबे में पाकिस्तान में महंगाई अपने चरम सीमा पर पहुंच चुकी है। हालात यह है कि कोरोना की मार की वजह से आर्थिक रूप से कमजोर हो चुकी जनता को काफी ऊंचे दामों पर खाद्य सामान खरीदना पड़ रहा है। वहीं, गैस की किल्लत ने घर की रसोई को भी ठंडा कर रखा है। सही शब्दों में कहे तो पाकिस्तान धीरे-धीरे भुखमरी की कगार पर पहुंच रहा है।

पाकिस्तान के सिर मंडरा रहा बहुत बड़ा खतरा
दरअसल, पाकिस्तान में बढती महंगाई अपने चरम पर पहुंच चुकी है। इस महंगाई का आलम यह है कि यहां एक अंडा 40 रुपये, एक किलो चीनी 104 रुपये किलो, अदरख 1000 रूपये किलो बिक रहा है। अगर यहां के लोग किसी तरह से मेहनत कर ये सामान खरीद भी लेते हैं तो उनके लिए इसे बनाने के लिए गैस की भी जरूरत है, जिसकी किल्लत भी धीरे धीरे पाकिस्तान को अपनी आगोश में लेती नजर आ रही है।
हकीकत यह है कि पाकिस्तान धीरे-धीरे भुखमरी की कगार पर पहुंच चुका है। जिस देश की 25 प्रतिशत जनता गरीबी रेखा के नीचे हो वहां अगर महंगाई इस तरह उछाल मारेगी तो देश में भुखमरी फैलना कोई बड़ी बात नहीं, पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति भी खराब होती जा रही है। पाकिस्तानी रुपया की भी साख अब गांव पर लग चुकी है। यह देश कर्ज तले बुरी तरह से डूबा हुआ है।
इस महंगाई की वजह से यहां की जनता को रोटी खाने के लिए भी सोंचना पड़ रहा है। इसकी वजह गेंहू के दाम हैं, जो आसमान छूते नजर आ रहे हैं। 40 किलो गेहूं का कट्टा यहां 2400 रुपए में बिक रहा है। मतलब 60 रुपए किलो। बताया जा रहा है कि पकिस्तान में पिछले साल दिसंबर में गेंहू की कीमत 40 रूपये किलो थी, लेकिन इस दिसंबर ने पिछले साल के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया है।
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अगर यहां की जनता किसी तरह आंटा खरीद भी ले रही है तो रोटी बनाने के लिए गैस का इन्तेजाम करना मुश्किल हो रहा है। बताया जा रहा है कि अभी कुछ दिनों तक गैस फिर भी मिल जा रही है लेकिन नए साल पर यह कमी इस कदर बढ़ जाएगी कि पाकिस्तान को एक बार फिर चूल्हे पर लौटना पड़ेगा।
एक पाकिस्तानी न्यूज पेपर के अनुसार, नए साल में पाकिस्तान को गैस संकट से भी जूझना पड़ेगा।देश में गैस की सप्लाई करने वाली कंपनी सुई नॉर्दर्न 500 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक फीट प्रतिदिन गैस की कमी से जूझ रही है। ऐसे में कंपनी के पास गैस आपूर्ति रोकने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। दरअसल, इमरान खान सरकार ने समय से गैस नहीं खरीदी, जिसका खामियाजा अब देश की आवाम को भुगतना पड़ सकता है।
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