भोपाल। मध्य प्रदेश की तरह ही राजस्थान में भी कांग्रेस सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। आपसी कलह के कारण एमपी में कमलनाथ के हाथ से सत्ता फिसल गई। उसी तरह राजस्थान में भी अशोक गहलोत की सरकार खतरे में दिख रही है।
सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट की जंग एक बार फिर से दिल्ली तक पहुंच गई है। पायलट दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान को अपना दुखड़ा सुनाने में लगे हैं, तो गहलोत राजस्थान में विधायकों की घेराबंदी में करने में लगे हैं। पार्टी के 24 विधायक बगावत करने के मूड में हैं।
पार्टी के कई विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं। जिन्हें घेरने के लिए पूरी कोशिश की जा रही है। वहीं गहलोत ने इसके लिए बीजेपी को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी हमारी सरकार को गिराना चाहती है। वो बकरा मंडी की तरह विधायक खरीदने में लगी है। विधायकों को खरीदने के लिए 10-10 करोड़ रुपये का ऑफर दिया जा रहा है।
गहलोत ने इस दौरान सचिन पायलट पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कई लोग मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे, लेकिन जब एक बार मुख्यमंत्री बन गया, तो सभी को शांत हो जाना चाहिए। और काम करना चाहिए। हालांकि उन्होंने कहा कि प्रदेश में कोई फूट नहीं है। सभी लोग मिलकर काम कर रहे हैं।
एमपी में भी ऐसा ही हुआ था
आज से तकरीबन 4 महीने पहले एमपी में भी कुछ ऐसा ही हुआ था। कमलनाथ सरकार में ज्योतिरादित्य सिंधिया का कोई महत्व नहीं समझा जा रहा था। उन्होंने पार्टी आलाकमान से शिकायत भी की, लेकिन उनकी बातों को किसी ने सुना नहीं। अपना अपमान देखते हुए उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया। उनके साथ 22 विधायकों ने भी बीजेपी ज्वाइन कर ली और सरकार गिर गई थी।
पायलट समर्थकों की घेराबंदी
सरकार बचाने के लिए गहलोत ने पायलट समर्थक विधायकों की घेराबंदी शुरू कर दी है। जानकारी के मुताबिक 24 विधायक एक होटल में रुके हुए हैं। जबकि 10 विधायक दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। वे पार्टी आलाकमान को अपना दर्द सुनाना चाहते हैं। हालांकि सभी को मनाने की पूरी कोशिश की जा रही है।
इसके अलावा राज्य की सीमाओं को सील कर दिया गया है और सभी गाड़ियों की कड़ी निगरानी की जा रही है। इसके लिए कोरोना का बहाना बताया जा रहा है। लेकिन ये विधायकों को रोकने के लिए किया जा रहा है। ताकि कोई विधायक कहीं भाग ना सके। साथ ही बीजेपी के नेताओं पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है, ताकि वे कांग्रेसी विधायकों से संपर्क ना कर सकें।