पीपुल्स यूनिटी फोरम व अधिवक्ता मंच,लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर मानवाधिकारों की अवधारणा और आज का परिदृश्य विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता प्रो रमेश दीक्षित ने किया।
मानवाधिकार को लेकर पेश किये गए विचार
गोष्ठी का संचालन करते हुए अधिवक्ता मंच, लखनऊ के संयोजक एडवोकेट वीरेन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि मानवाधिकार का प्रश्न हर समाज का बुनियादी प्रश्न है। किसानों का आंदोलन हो,श्रमिकों का या नागरिकों का,सभी के केंद्र में मानाधिकार का ही सवाल है।यही वे सवाल है जो सत्ता को निरंकुश होने से रोकते है और समाज में एक दूसरे के प्रति संवेदनशील बनाते है।
विश्वजीत ने कहा किसी भी व्यक्ति का जीवन, आजादी, बराबरी और सम्मान का अधिकार ही मानवाधिकार के अंतर्गत आता है।
पीपुल्स यूनिटी फोरम के संरक्षक रामकिशोर ने कहा कि समाज में व्याप्त भेदभाव को खत्म करना तभी संभव है जब मानव अधिकारों को प्राथमिकता देते हुए हम पहले से बेहतर,अधिक लचीली,न्यायसंगत और टिकाऊ दुनिया का निर्माण करें।
सोशलिस्ट नेता ओंकार सिंह ने कहा कि मानवाधिकार दिवस 2020 अन्य वर्षों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण है।कोविद-19 महामारी की वजह से गरीबी, बढ़ती असमानताओं व सघन भेदभाव के चलते मानव अधिकारों के संरक्षण के प्रति इसकी गंभीरता और अधिक आवश्यक हो जाती है।
अमलतास के अजय शर्मा ने कहा कि मानवाधिकार दिवस को मनाने का उद्देश्य है कि सभी लोग सुरक्षित महसूस कर सकें और भेदभाव रहित स्वतंत्रतापूर्ण जीवन जी सके. मानवाधिकार में स्वास्थ्य, आर्थिक सामाजिक व शिक्षा का अधिकार भी शामिल है, किन्तु आज की परिस्थितियों में यह चुनौतीपूर्ण हो चुका है।
अध्यक्षीय सम्बोधन में प्रो रमेश दीक्षित ने कहा किसमाज के किसी भी समूह के मानवाधिकार का दमन पूरे समाज के दमन की राह खोलता है और समाज को पीछे ले जाता है। इसलिए मानवाधिकार की लड़ाई सभी की साझा जिम्मेदारी है।
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कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एन डी पंचोली, अवतार सिंह बहार,वरिष्ट पत्रकार अनिल सिन्हा, महिला नेत्री ताहिरा हसन, सोशलिस्ट नेता ओंकार सिंह, ओपी सिन्हा, पंकज विश्वजीत, अशोक उन्नाव, एडवोकेट वीरेश शुक्ला, पुष्पेंद्र विश्वकर्मा, वालेन्द्र कटियार, सहित अन्य शामिल हुए।