उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच चल रही रस्साकशी अब और तेज होने वाली है। दोनों नेताओं के बीच असली शिवसेना के दावे के बाद शिवाजी पार्क दशहरा रैली करने को लेकर खींचतान चल रही है। इस बीच एकनाथ शिंदे गुट ने उद्धव ठाकरे को और कमजोर करने की तैयारी कर ली है। महाराष्ट्र के सियासी हलकों में चर्चा है कि विजयादशमी के मौके पर उद्धव गुट के करीब 15 नेता एकनाथ शिंदे के समर्थन में आ सकते हैं। इन नेताओं में एक सांसद, दो विधायक और लगभग 5 पूर्व पार्षद शामिल हैं। इसके अलावा कुछ और नेता ऐसे हैं, जो विभिन्न निगमों पर पदासीन हैं या किसी और पद पर हैं।

यही नहीं एकनाथ शिंदे गुट ने तो उद्धव ठाकरे खेमे को विजयादशमी की रैली संबोधित करने से रोकने के लिए भी पूरी फिल्डिंग सजा ली है। कहा जा रहा है कि किसी को भी शिवाजी पार्क में रैली न करने देने पर भी विचार हो रहा है। इसके तहत शिवाजी पार्क को ही फ्रीज किया जा सकता है। यदि ऐसा होता है तो फिर बालासाहेब ठाकरे के दौर से चली आ रही परंपरा टूट जाएगी। 1966 में शिवसेना की स्थापना हुई थी और तब से ही दशहरे की रैली उसका सबसे बड़ा आयोजन रहा है। हर साल आयोजित होने वाली इस रैली में पूरे में महाराष्ट्र से शिवसैनिकों का जमावड़ा लगता रहा है।
इनकम टैक्स की बड़ी छापेमारी, दिल्ली; राजस्थान समेत देशभर में 100 जगहों पर एक साथ की कार्रवाई
यदि विधायक टूटते हैं तो फिर एकनाथ शिंदे खेमे में विधायकों की संख्या 42 से 43 तक हो सकती है। उद्धव ठाकरे ग्रुप के कई नेताओं को तोड़ने के बाद अब एकनाथ शिंदे गुट की कोशिश उनके करीबी नेताओं को भी अपने पाले में लाने की है। शिंदे ने उद्धव ठाकरे के कई पुराने सहयोगियों पर भी डोरे डालने की कोशिश तेज कर दी है। बता दें कि उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच पार्टी को लेकर भी कलह तेज हो गई है। दोनों ही गुटों ने सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग में अर्जी दाखिल कर शिवसेना पर अपना दावा ठोका है। चुनाव आयोग में अर्जी डालकर दोनों पक्षों ने शिवसेना के चिह्न तीर और धनुष पर दावा ठोका है।
Sarkari Manthan Hindi News Portal & Magazine