म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों को कुचलने के प्रयास में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर फिर फायरिंग की जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई। इससे पहले पुलिस ने गत बुधवार को कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों पर गोलियां बरसाई थीं। इसमें 38 लोगों की जान गई थी। इस दक्षिण पूर्व एशियाई देश में गत एक फरवरी को हुए सैन्य तख्तापलट के खिलाफ शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों में यह अब तक की सबसे बड़ी हिंसा थी। प्रदर्शनकारी गोलियों की परवाह किए बिना लोकतंत्र वाली सरकार की मांग को लेकर सड़कों पर उतर रहे हैं।
म्यांमार के कई शहरों में शुक्रवार को भी बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए गए। देश के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले में भी हजारों लोग सड़कों पर उतरे और शांतिपूर्ण ढंग से मार्च निकाला। इस दौरान लोगों ने ‘हम धमकी से डर नहीं रहे हैं’ जैसे नारे लगाए। पुलिस ने कुछ देर बाद ही इनको खदेड़ने के लिए फायरिंग कर दी। इसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई।
यंगून में जमा हुए प्रदर्शनकारी
इधर, म्यांमार के सबसे बड़े शहर यंगून में सैकड़ों प्रदर्शनकारी जमा हुए। उनका साथ देने के लिए करीब 100 डॉक्टर भी पहुंचे। इन लोगों को खदेड़ने के लिए पुलिस ने रबर की गोलियां चलाई। पुलिस ने गुरुवार को इस शहर में प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे थे।
बल प्रयोग बंद करने की मांग
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाचेलेत ने म्यांमार के सुरक्षा बलों से मांग की है कि वे शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे लोगों पर बल का प्रयोग करना बंद कर दें। उन्होंने बताया कि इस देश में अब तक 29 पत्रकारों समेत 1,700 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
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सेना के पांच यूट्यूब चैनल बंद
यूट्यूब ने बताया कि उसने म्यांमार की सेना के पांच चैनलों को बंद कर दिया है। नियमों के उल्लंघन के चलते ऐसा किया गया है। इससे पहले फेसबुक ने अपने प्लेटफार्म पर इस देश की सेना से जुड़े पेज हटा दिए थे।