
सनतान धर्म में तुलसी का धार्मिक महत्व बहुत ही अधिक है। तुलसी के बारे में यह मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय जो अमृत धरती पर छलका, उससे ही तुलसी की उत्पत्ति हुई। शास्त्रों में तुलसी के पौधे पूजनीय, पवित्र और देवी का दर्जा दिया गया है। एक मान्यता यह भी है कि रविवार को तुलसी नहीं तोड़ी जाती। यहां जानें क्या है इस की वजह और इससे जुड़ी कहानी।
तुलसी को तोड़ने के लिए ही नहीं बल्कि इसे लगाने और पूजा में इस्तेमाल करने को लेकर भी कई मान्यताएं फैली हुई हैं। जैसे गुरुवार को तुलसी का पौधा लगाना चाहिए, इसे घर से बाहर नहीं बल्कि बीच आंगन में लगाना चाहिए और इसे घर में लगाने का सबसे उत्तम महीना कार्तिक का होता है।

पुराणों के मुताबिक रविवार का दिन भी भगवान विष्णु का सबसे प्रिय दिन माना जाता है। यहीं कारण है कि भगवान विष्णु प्रिय तुलसी को भी उस दिन ना तोड़ने की परंपरा है। कहते है जो भी उस दिन तुलसी का पौधा या इसकी पत्तियां तोड़ता है उस पर भगवान विष्णु क्रोधित हो जाते हैं।
इसके अलावा यह भी मान्यता हैं रविवार के दिन मां तुलसी का व्रत होता है। वह पूरे दिन पूर्ण रूप से व्रत रखती है और इसलिए इस दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से उनके व्रत में बाधा पड़ती है।
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