उत्तराखंड के उच्च हिमालय स्थित सिखों के पवित्रधाम हेमकुंड साहिब और लक्ष्मण मंदिर के कपाट रविवार को विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिये गये। इस वर्ष महज 23 दिनों चली यात्रा के दौरान 11 हजार तीर्थ यात्रियों ने हेमकुंड साहिब में दर्शन कर मत्था टेका।
हेमकुंड साहिब के कपाट बंद होने की प्रक्रिया रविवार को सुबह 10 बजे सुखमनी पाठ के साथ शुरू हुई। इसके बाद 11 बजे से गुरुद्वारा में शबद कीर्तन का आयोजन किया गया। करीब डेढ़ घंटे तक शबद कीर्तन के आयोजन के पश्चात 12 बजकर 50 मिनट पर यहां पंच प्यारों की अगुवाई और सेना की बैंड धुनों के साथ गुरुग्रंथ साहिब को सचखंड में विराजमान किया गया। इसके बाद हेमकुंड साहिब के कपाट पूरे विधि विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। गुरुद्वारा परिसर में स्थित लक्ष्मण मंदिर में रविवार को विशेष पूजा-अर्चना के बाद मंदिर के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद कर दिये गये हैं।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते हेमकुंड साहिब और लक्ष्मण मंदिर की यात्रा तीन माह 18 दिन देरी से यात्रा का संचालन शुरू हुई। इसके चलते इस वर्ष 23 दिनों तक चली यात्रा के दौरान यहां 11 हजार तीर्थयात्री हेमकुंड साहिब में मत्था टेकने पहुंचे, जबकि बीते वर्ष 36 दिनों तक संचालित हुई। यात्रा के दौरान यहां महज आठ हजार तीर्थयात्री ही दर्शनों के लिए पहुंचे थे।
रविवार को कपाट बंद होने के मौके पर यहां 18 सौ श्रद्धालुओं ने हेमकुंड साहिब में मत्था टेककर मनौतियां मांगी। इस दौरान यहां गोविंद घाट गुरुद्वारा के मैनेजर सेवा सिंह, दिल्ली प्रधान जनक सिंह, लखनऊ के सरदार रविंदर सिंह, पंजाब के कपूरथला राणा इंद्र प्रताप सहित दिल्ली, छतीसगढ़, मुम्बई और पंजाब के अन्य जिलों के श्रद्धालु मौजूद रहे।
उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मौसम को देखते हुए श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा ट्रस्ट की ओर से तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा देखते हुए 10 अक्टूबर को धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। इस वर्ष बीते वर्ष की अपेक्षा तीन हजार अधिक तीर्थयात्री धाम पहुंचे। कपाट बंद होने के मौके पर यहां 18 सौ से अधिक तीर्थ यात्रियों ने गुरुद्वारे में मत्था टेका।