इस वर्ष सबसे चर्चित व बड़ी सुकेश चंद्रशेखर द्वारा की गई ठगी के मामले में तिहाड़ जेल प्रशासन से कहां चूक हुई, इसे लेकर ‘हिन्दुस्थान समाचार’ ने तिहाड़ जेल में काम कर चुके पूर्व लॉ ऑफिसर सुनील गुप्ता से बात-चीत की। उन्होंने बताया कि अभी के हालात में ऐसा लगता है कि जेल को प्रशासन नहीं, बल्कि कैदी चला रहे हैं।
तिहाड़ जेल के पूर्व लॉ ऑफिसर सुनील गुप्ता ने बताया आज तक तिहाड़ जेल से इतनी बड़ी ठगी नहीं हुई। जेल के भीतर बदमाश द्वारा मोबाइल इस्तेमाल करने, धमकी देने और रंगदारी मांगने के मामले पहले भी सामने आते रहे हैं, लेकिन सुकेश के फर्जीवाड़े के सामने यह सभी अपराध छोटे है। वहीं सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरे फर्जीवाड़े में जेल अधिकारी उसके साथ मिले हुए थे।
यही वजह है कि पहली बार तिहाड़ जेल के सुपरिटेंडेंट, डिप्टी सुपरिटेंडेंट और असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट स्तर के अधिकारी गिरफ्तार हुए। आगे सुनील गुप्ता ने बताया कि गिरफ्तारी के बाद जब कई बार सुकेश चंद्रशेखर से मोबाइल बरामद हुए तो उसे हाई रिस्क वार्ड में बंद कर दिया गया था। यहां पर जो कैदी रखे जाते हैं, उन पर 24 घंटे नजर रखी जाती है।
वहां पर जेल के सुरक्षाकर्मी 24 घंटे ड्यूटी देते हैं। उस जगह किसी भी प्रतिबंधित वस्तु जैसे मोबाइल को पहुंचाना असंभव होता है, लेकिन सुकेश ने फर्जीवाड़े के लिए खुद को हाई रिस्क वार्ड से निकलवा कर सामान्य वार्ड में डलवा लिया। सबसे पहले इस बात की जांच होनी चाहिए कि वह आखिर कैसे हाई रिस्क वार्ड से सामान्य वार्ड में पहुंचा।
सामान्य वार्ड में भी आठ से 10 कैदियों को एक साथ रखा जाता है, लेकिन सुकेश को वहां पर भी अकेले रखा गया ताकि वह आसानी से फर्जीवाड़े को अंजाम दे सके। यहां पर वह आसानी से मोबाइल इस्तेमाल करता था। यह सभी काम बिना जेल अधिकारी की मिलीभगत के होना संभव ही नही है।
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उन्होंने बताया कि जबरन उगाही के मामले जेल में पहले भी होते थे, लेकिन उन मामलों में वार्डर या ज्यादा से ज्यादा असिसटेंट सुपरिटेंडेंट स्तर के अधिकारियों की मिलीभगत रहती थी, लेकिन इतने बड़े स्तर पर हुए फर्जीवाड़े में डिप्टी सुपरिटेंडेंट एवं सुपरिटेंडेंट भी जालसाज से मिल गए। इतना ही नहीं उससे ऊपर के अधिकारियों का नाम भी इस फर्जीवाड़े में लिया जा रहा है।