अमेरिका से आज एक बड़ी खबर सामने आई है, जिसके आने के बाद से हर कोई खुशी जता रहा है। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने घोषणा की कि अफगानिस्तान में अमेरिकी हवाई हमले में अल-कायदा का सरगना अयमान अल-जवाहिरी मारा गया है। जवाहिरी अमेरिकी कार्रवाई में ओसामा बिन-लादेन के मारे जाने के बाद अल-कायदा का सरगना बना था। खुफिया विभाग को जवाहिरी के उसके काबुल स्थित घर में अपने परिवार के साथ छिपे होने की जानकारी मिली थी। बाइडेन ने अभियान के लिए पिछले सप्ताह अनुमति दी थी और इसे रविवार को अंजाम दिया गया। जवाहिरी पहले पाकिस्तान में छिपा हुआ था लेकिन जब अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार आई, तो वह भी यहां रहने आ गया।
ऐसा कहा जा रहा है कि तालिबान सरकार के गृह मंत्री और कुख्यात आतंकी सिराजुद्दीन हक्कानी ने उसे यहां सुरक्षित शरण दी थी। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि जवाहिरी की सबसे बड़ी गलती ये थी कि उसकी आदत बार-बार अपने घर की बालकनी पर आने की थी। बालकनी पर आने की उसकी इसी आदत की वजह से सीआईए के अधिकारियों को जवाहिरी के काबुल में छिपे होने का विचार आया और उन्होंने रिपर ड्रोन से हेलफायर मिसाइल दागकर जवाहिरी का काम तमाम कर दिया। ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि इस हमले में हक्कानी का बेटा और दामाद भी मारा गया है। इस सफलता के बाद बाइडेन ने कहा कि हमारे दुश्मन चाहे कहीं भी छिपे हों, उन्हें मार दिया जाएगा।
लगातार वीडियो जारी कर रहा था
71 साल का जवाहिरी लादेन की मौत के बाद से बीते 11 साल से लगातार वीडियो जारी कर दुनिया को धमकियां दे रहा था। अमेरिका ने उसके सिर पर करोड़ों का ईनाम रखा था। जवाहिरी लादेन का पर्सनल डॉक्टर था। हक्कानी का परिवार भी जवाहिरी के साथ एक ही घर में रह रहा था। बाइडेन के आदेश पर इस हमले को अंजाम दिया गया है। अमेरिका का कोई भी सैनिक हमले के वक्त काबुल में मौजूद नहीं था। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि तालिबान के पास जवाहिरी की जानकारी थी, जो कि दोहा समझौते का सीधा उल्लंघन है। हालांकि हमले में जवाहिरी के परिवार को कोई नुकसान नहीं हुआ है। अमेरिका ने इस हमले को लेकर तालिबान को कोई जानकारी नहीं दी है। हालांकि तालिबान सरकार इस घटना से नाराज है और उसने अमेरिका को चेतावनी दी है।
तालिबान के प्रवक्ता जबिउल्लाह ने कहा है कि 31 जुलाई को काबुल शहर के शेरपुर इलाके में हवाई हमला हुआ है। शुरुआत में पता नहीं था कि हमला किस तरह का है। लेकिन बाद में पता चला कि अमेरिका ने ड्रोन से हमला किया है। जवाहिरी की मौत पर जबिउल्लाह ने कहा कि तालिबान सरकार हमले की कड़ी निंदा करती है और यह अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों और दोहा समझौते का स्पष्ट उल्लंघन है। अमेरिका पर 9/11 हमलों की साजिश अल-जवाहिरी और ओसामा बिन-लादेन ने मिलकर रची थी। इस हमले में 3000 से अधिक अमेरिकी नागरिक मारे गए थे। ओसामा बिन-लादेन को ‘यूएस नेवी सील्स’ ने दो मई 2011 को पाकिस्तान में एक अभियान में मार गिराया था।
छह महीने से थी सीआईए की नजर
बाइडेन ने कहा, ‘वह फिर कभी अफगानिस्तान को आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बनने नहीं देगा, क्योंकि वह चला गया है और हम सुनिश्चित करेंगे कि ऐसा कुछ दोबारा कभी ना हो। आतंकवाद का सरगना मारा गया।’ अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान छोड़ने के 11 महीने बाद एक महत्वपूर्ण आतंकवाद रोधी अभियान में अमेरिका ने यह सफलता हासिल की है। मामले से जुड़े पांच लोगों ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि केंद्रीय खुफिया एजेंसी (सीआईए) ने यह हवाई हमला किया। वह जवाहिरी के पीछे बीते छह महीने से थी।
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यही जवाहिरी अमेरिकी नागरिकों की हत्या का मस्टरमाइंड भी रहा है। सीआईए को छह महीने सूचना मिली थी कि जवाहिरी अफगानिस्तान पहुंच गया है। वो यहां अपने परिवार के साथ रहने आया था। बाइडेन ने हालांकि अपने बयान में अमेरिका खुफिया समुदाय की सराहना करते हुए कहा, ‘उनकी असाधारण दृढ़ता और कौशल के लिए धन्यवाद’ जिसकी वजह से यह अभियान ‘सफल’ हुआ। अल-जवाहिरी ने अल-कायद को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पहले 1998 से उसने बिन-लादेन की छत्रछाया में काम किया और बाद में उसके उत्तराधिकारी के तौर पर। खुफिया विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, अल-जवाहिरी जिस घर में मारा गया वह तालिबान के शीर्ष सरगना सिराजुद्दीन हक्कानी के एक शीर्ष सहयोगी का है।