दिसंबर 2002 में कांग्रेस (Congress) पार्टी कई राज्यों में सरकारें थीं। पार्टी के लिए कम से कम छह राज्य के मुख्यमंत्री और कई राष्ट्रीय नेता विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार करने के लिए गुजरात (Gujarat) गए थे। चुनाव गोधरा ट्रेन जलने और दंगों की पृष्ठभूमि में हो रहे थे। इसके बाद अक्षरधाम आतंकी हमला हुआ था जिसे दंगों का बदला बताया गया था।

नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने तत्कालीन मुख्यमंत्री रहते हुए हिन्दू हृदय सम्राट की उपाधि अर्जित की थी। पूरे राज्य में गौरव यात्रा का नेतृत्व किया और इस दौरान उनके भाषण बड़े पैमाने पर अल्पसंख्यकों और कांग्रेस (Congress) की मौजूदा अध्यक्ष के इतालवी मूल को टार्गेट कर रहे थे।
हिन्दुत्व की लहर और भाजपा की एक तरफा जीत
2002 गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले हुई इन घटनाओं के रहते राज्य में हिंदुत्व की लहर जुड़ जाने से भाजपा ने 182 सीटों में से 127 सीटें जीतीं जो पार्टी का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा है। कांग्रेस ने नेताओं की “कार्पेट बोम्बिंग” में कई बड़े नेता इस चुनाव में दिखाई दिए जिनमें राजस्थान से अशोक गहलोत महाराष्ट्र के विलासराव देशमुख, कर्नाटक के एसएम कृष्णा, छत्तीसगढ़ के अजीत जोगी, मध्य प्रदेश के दिग्विजय सिंह और दिल्ली की शीला दीक्षित नजर आई थी।
सबने पार्टी के पक्ष में माहौल बनाया लेकिन इस शक्ति प्रदर्शन के बावजूद पार्टी सत्ता में नहीं लौट सकी कांग्रेस ने इस चुनाव में 51 सीटें जीतीं जिनमें दो निर्दलीय और दो जनता दल (यूनाइटेड) के खाते में गयी थी।
यूपी के नेता गुजरात के मैदान में
2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान पिछले दो हफ्तों में भाजपा की “कार्पेट बोम्बिंग” 20 साल पहले की कांग्रेस की तरह दिखाई देती है। जिसकी पूर्व में कई रणनीतिक परतें हैं। 2022 के इस चुनाव में भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश से लाए गए प्रचारकों की बड़ी संख्या है। उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है जिसका गुजरात के साथ राम जन्मभूमि आंदोलन के बाद से गहरा संबंध रहा है और यूपी में भाजपा बीते विधानसभा चुनाव में “डबल इंजन” की सरकार के नारों के साथ बड़ी जीत दर्ज की थी।
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