देश की सबसे बड़े न्याय के मंदिर सुप्रीम कोर्ट ने 1993 में मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के दोषी मुहम्मद मोइन फरीदुल्ला कुरैशी को बड़ा झटका दिया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा काट रहे मुहम्मद मोइन फरीदुल्ला कुरैशी की दया याचिका को खारिज कर दिया है। इस याचिका में कुरैशी की सजा में उदारता बरतने के अनुरोध किया गया था। यह याचिका अनुच्छेद 32 के तहत दायर की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने इसलिए खारिज की याचिका
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में जस्टिस इंदु मल्होत्रा और इंदिरा बनर्जी की पीठ ने शुक्रवार को कहा कि याचिका में मांगी गई राहत के लिए अनिवार्य रूप से अदालत की आवश्यकता होगी, जो अनुच्छेद 32 के तहत याचिकाकर्ता पर लगाई गई सजा को पलट सकती है। यह सजा एक नामित अदालत ने दी है।
पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 32 के तहत इस याचिका पर वे उपाय काम नहीं आएंगे, इसलिए इस याचिका को खारिज किया जाता है।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एस नागामुथ की दलीलों पर कोई राय व्यक्त नहीं की। याचिकाकर्ता ने उस वक्त अपने नाबालिग होने के आधार पर शीर्ष अदालत का रुख किया था। याचिका इस तथ्य पर आधारित थी कि एक अन्य टाडा मामले में शीर्ष अदालत ने 9 मार्च, 2011 के एक आदेश पर किशोर की दलील को आगे बढ़ाने की अनुमति दी थी।
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आपको बता दें कि 12 मार्च 1993 को मुंबई में सिलसिलेवार 12 जगहों पर हुए धमाकों में 257 लोग मारे गए थे जबकि 713 लोग घायल हुए थे। इस मामले में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त का नाम भी शामिल किया गया था, दाऊद इब्राहिम को तो गिरफ्तार नहीं किया जा सका था, लेकिन संजय दत्त को 18 महीनों की जेल की सजा काटनी पड़ी थी।