उत्तर प्रदेश में चुनाव से पहले जीत की हुंकार भरने वाली असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी का खाता तक नहीं खुला हैं। यूपी में हार के बाद अब पार्टी महाराष्ट्र में अपनी जमीन मजबूत करने निकल चुकी हैं। हाल ही में एआईएमआईएम सांसद इम्तियाज जलील ने कहा है कि उनकी पार्टी कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन के लिए तैयार है, जो महाराष्ट्र में शिवसेना के नेतृत्व वाली महा विकास अघाडी सरकार का हिस्सा हैं। सांसद के इस प्रस्ताव को शिवसेना से मामने से इंकार कर दिया है। शिवसेना ने एआईएमआईएम के साथ गठबंधन की संभावना को खारिज करते हुए कहा कि वह इसे महाराष्ट्र में एमवीए गठबंधन में चौथे भागीदार के रूप में स्वीकार नहीं करेगी।
शिवसेना ने ठुकराया असदुद्दीन ओवैसी का प्रस्ताव
शिवसेना सांसद संजय राउत ने आगे कहा कि एआईएमआईएम के साथ इस तरह के गठबंधन के बारे में सोचना एक बीमारी के बराबर है। हम उस पार्टी के साथ कैसे गठबंधन कर सकते हैं जो औरंगजेब की कब्र के सामने घुटने टेकती है। इसके बारे में सोचो भी मत। यह सोचना एक बीमारी के समान है। शिवसेना छत्रपति शिवाजी महाराज के आदर्शों पर चलती है और भविष्य में भी ऐसा करेगी। इसके अलावा राउत ने दावा किया कि भाजपा और एआईएमआईएम एक गुप्त गठबंधन में थे। आपने इसे यूपी में भी देखा होगा। इसलिए, ऐसी पार्टी (भाजपा के साथ गुप्त गठबंधन के साथ) से हम दूरी बनाए रखते हैं।
किसी भी कीमत पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी से नहीं होगा गठबंधन
एआईएमआईएम नेता इम्तियाज जलील के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देने के लिए पूछे जाने पर राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में एमवीए तीन-पक्षीय गठबंधन रहेगा। उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र में तीन दलों की सरकार (शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा) है। चौथी पार्टी नहीं आएगी। एआईएमआईएम के इम्तियाज जलील सांसद हैं। मैं उनसे दिल्ली में मिला था लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम गठबंधन कर रहे हैं।
ओवैसी की पार्टी ने महा विकास अघाडी सरकार का हिस्सा बनने का पेश किया था प्रस्ताव
एआईएमआईएम सांसद इम्तियाज जलील ने कहा है कि उनकी पार्टी कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन के लिए तैयार है, जो महाराष्ट्र में शिवसेना के नेतृत्व वाली महा विकास अघाडी सरकार का हिस्सा हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम भाजपा की ‘बी’ टीम नहीं है, जैसे कि मुख्यधारा की पार्टियां आरोप लगाती हैं। जलील ने बताया कि एनसीपी नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री राजेश टोपे शुक्रवार को उनके घर पहुंचे थे, तब उन्होंने उन्हें कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन करने की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) की इच्छा से अवगत कराया।
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एआईएमआईएम नेता ने की थी राजेश टोपे से मुलाकात
एआईएमआईएम की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख इम्तियाज जलील ने कहा कि उनकी मां के निधन के कुछ दिनों बाद शुक्रवार को टोपे उनसे मिलने आए थे। जीलल ने कहा कि अक्सर यह आरोप लगाया जाता है कि भारतीय जनता पार्टी एआईएमआईएम की वजह से जीतती है, क्योंकि मुस्लिम मतों का विभाजन हो जाता है। जलील ने कहा, “इस आरोप को गलत साबित करने के लिए मैंने टोपे को गठबंधन के लिए तैयार होने की जानकारी दी। हालांकि, उन्होंने मेरे प्रस्ताव के बारे में कुछ नहीं कहा।” उन्होंने कहा, अब हम यह देखना चाहते हैं कि ये एआईएमआईएम के खिलाफ महज आरोप हैं या फिर कांग्रेस-एनसीपी हमारे साथ हाथ मिलने को तैयार हैं।
एआईएमआईएम के प्रस्ताव को लेकर शिवसेना के संभावित रुख पर औरंगाबाद से सांसद जलील ने कोई भी स्पष्ट जवाब देने से इनकार कर दियाथा। जलील ने कहा, “हकीकत यह है कि ये पार्टियां मुस्लिमों के वोट चाहती हैं। सिर्फ एनसीपी ही क्यों? कांग्रेस भी कहती है कि वह धर्म निरपेक्ष है और उसे भी मुस्लिम वोट चाहिए। हम उसके साथ भी हाथ मिलाने को तैयार हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा देश का काफी नुकसान कर चुकी है और एआईएमआईएम उसे हराने के लिए सब कुछ करने को तैयार है।
जलील ने कहा कि एआईएमआईएम ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के साथ भी गठबंधन के बारे में बात की थी, लेकिन वे मुसलमानों के वोट चाहते थे, पर असदुद्दीन ओवैसी को नहीं, जो पार्टी के प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में भी ये पार्टियां (कांग्रेस और एनसीपी) मुसलमानों के वोट चाहती हैं, लेकिन एआईएमआईएम को नहीं। यह पूछे जाने पर कि क्या गठबंधन का उनका प्रस्ताव औरंगाबाद नगर निगम तक सीमित है? इसके जवाब में जलील ने कहा कि एआईएमआईएम का भावी कदम कांग्रेस और एनसीपी से मिली प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा, “नहीं तो हम अकेले जा सकते हैं। हम उन्हें गठबंधन का मौका दे रहे हैं, क्योंकि वे हमें भाजपा की ‘बी’ टीम कहते हैं।