मध्य प्रदेश की सत्तारूढ़ बीजेपी नीत शिवराज सरकार ने अपने माता-पिता खो चुके अनाथ बच्चों के लिए मासिक पेंशन देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार द्वारा लिया गया यह फैसला महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ शिवसेना को खासा पसंद आया है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में एमपी की बीजेपी सरकार की तारीफ़ में जमकर कसीदे लिखे हैं। सामना में छपे एक लेख में बीजेपी सरकार के इस फैसले को अन्य सरकारों के लिए आदर्श करार दिया गया है। इसके साथ ही उन्होंने अपने संपादकीय में वर्ष 1984 में हुए सिख दंगों का भी जिक्र किया।
शिवसेना ने सामना में किया जिक्र
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कहा कि राज्य और केंद्र सरकारों को उन बच्चों का संज्ञान लेना होगा जो कोविड -19 के कारण अनाथ हो गए थे और उन्हें मानवता की ढाल दी जानी चाहिए।
संपादकीय में कहा गया है कि कई बच्चे इस बात से अनजान हैं कि उनके माता-पिता जो कोविड से लड़ रहे हैं, वे अस्पताल से नहीं लौट सकते। सरकार को इन अनाथ बच्चों का अभिभावक बनकर उनकी देखभाल करनी होगी। चाहे केंद्र सरकार हो या राज्य, उन्हें इन बच्चों पर ध्यान देना होगा और उन्हें मानवता की ढाल देनी होगी जिस तरह से मध्य प्रदेश के शिवराज चौहान ने किया है।
1984 में हुए सिख दंगों का जिक्र करते हुए शिवसेना ने सामना में लिखा कि भुज के भूकंप में भी कई लोग अनाथ हुए थे। 1984 में दिल्ली में सिखों का हत्याकांड हुआ। पंजाब में प्रदीर्घ काल तक चले आतंकवाद ने भी कई बच्चों को अनाथ ही किया। चक्रवात, तूफान, हादसों में मां-बाप गुजर जाते हैं व मासूम बच्चे बेसहारा हो जाते हैं। दुनिया में कई जगह लगातार युद्ध, बम धमाके, धार्मिक दंगे जारी ही रहते हैं। इससे भी अनाथों की एक गंभीर समस्या खड़ी हुई है।
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आपको बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार ने गुरुवार को घोषणा की कि जिन बच्चों ने अपने माता-पिता या अभिभावकों को कोविड -19 में खो दिया है, उन्हें मुफ्त शिक्षा और 5,000 रुपये मासिक पेंशन प्रदान की जाएगी। इन बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी राज्य उठाएगा। सामना के संपादकीय में शिवराज सिंह चौहान की इस पहल का स्वागत किया गया है।