उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री और सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान पर साधु-संत भड़क गए हैं. अयोध्या के संतो ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्या पहले रामचरितमानस को पढ़ें. परमहंस आचार्य ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को बाध्य नहीं किया जा रहा है कि वह रामचरितमानस पढ़ें. उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्या को रामचरितमानस की चौपाई का अर्थ बताने का चैलेंज भी दिया. परमहंस आचार्य ने कहा कि जिस की भी इच्छा हो वह रामचरितमानस पढ़ें और ना इच्छा हो तो ना पढ़ें लेकिन बिना जानें समझे इस तरीके की टिप्पणी नहीं करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि पहले स्वामी प्रसाद अपने बयान को दुरुस्त करें और अगर उनको लगता है कि वह राम चरितमानस के विषय में जानते हैं तो शास्त्रार्थ के लिए उन्हें आमंत्रित करता हूं. जहां चाहे वह शास्त्रार्थ कर सकते हैं. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर बिना जाने राम चरित मानस पर उंगली उठाएंगे तो फिर उसका परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें
रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने स्वामी प्रसाद मौर्या को ‘लतखोर’ करार करते हुए कहा कि वह पहले भारतीय जनता पार्टी में था उसे भगा दिया गया है. वह इधर से उधर घूम रहा है.रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मांग की है कि ऐसे भगवान को ना मानने वाले और रामचरितमानस पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले व्यक्ति को तत्काल समाजवादी पार्टी के बाहर निकालें.
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वहीं, सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि स्वामी प्रसाद पर सपा को कार्यवाई करनी चाहिए. सपा का अस्तित्व खत्म हो रहा है. विनाश काले विपरीत बुद्धि.वह जब सत्ता में थे तब क्यों नही बैन किया. जाति जनगणना पर वह हितैषी बनने की कोशिश कर रहे हैं.