ऋषिकेश, 08 जुलाई। उत्तराखंड हाई कोर्ट की ऋषिकेश तीर्थनगरी में अतिक्रमण को लेकर जनहित याचिका पर सुनाये गये फैसले की विभागों के गले पर लटकी तलवार का असर अब जल्द नगरवासियों को दिखाई देगा। जिसके लिए नेशनल हाईवे डोईवाला डिवीजन ने पहल करते हुए कोयल घाटी से घाट चौराहे तक 1.7 किलोमीटर लंबे और 15 मीटर चौड़ी फोरलेन सड़क का शीघ्र निर्माण शुरू करने जा रहा है। इसके लिए एनएच विभाग इस सड़क को अतिक्रमण मुक्त कर चुका है लेकिन अन्य विभाग अभी भी लापरवाह बने हैं।
उल्लेखनीय है कि स्थानीय आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गुप्ता की जनहित याचिका पर विभागों द्वारा अतिक्रमण को चिह्नित किया गया था। जिसमें कोयल घाटी से चंद्रभागा तक सड़क के दोनों ओर किया गया अतिक्रमण भी शामिल है लेकिन व्यापारियों के विरोध के कारण यह कार्यवाही रोकी गई थी। अब एनएच फिर सक्रिय हुआ और उसने ऋषिकेश बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर ऋषिकेश में फोरलेन निर्माण का का टेंडर बुधवार को स्वीकृत कर दिया है।
नेशनल हाईवे डोईवाला डिवीजन कोयल घाटी से घाट चौराहे तक 1.7 किलोमीटर लंबे और 15 मीटर चौड़ी फोरलेन सड़क का शीघ्र निर्माण शुरू करेगा। नेशनल हाईवे डिविजन डोईवाला ने राष्ट्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय को ऋषिकेश में हरिद्वार रोड कोयल ग्रांट से घाट चौराहे तक फोरलेन बनाने का प्रस्ताव भेजा था। इसे पूर्व में भी वित्तीय स्वीकृति प्रदान की जा चुकी थी।
विभाग के सहायक अभियंता प्रवीण कुमार सक्सेना ने बताया कि नेशनल हाईवे व्यासी में कार्य कर रही, कंपनी को टेंडर मिला है जो इस पर शीघ्र कार्य शुरू करेगी। उन्होंने बताया कि फोरलेन के जितने भाग के लिए टेंडर मंजूर किया गया है। उस मार्ग को पूरी तरह से अतिक्रमण मुक्त किया जा चुका है। जिसमें चंद्रभागा पुल से लेकर कोयल ग्रांट तक करीब 2.2 किलोमीटर लंबे फोरलेन का निर्माण होना था। जिसमें कोयल ग्रांट से घाट चौराहे सीमा तक 1.7 किलोमीटर लंबे फोरलेन का ही टेंडर हुआ है। घाट चौराहा से चंद्रभागा पुल तक करीब 500 मीटर लंबे फोरलेन का निर्माण उसके बाद होगा, क्योंकि इस क्षेत्र से अभी अतिक्रमण नहीं हटा है।उसके लिए नेशनल हाईवे डिवीजन ने बुधवार को निर्माण कार्य के लिए टेंडर स्वीकृत कर दिया है। करीब 7.5 करोड़ की लागत से बनने वाले फोरलेन कि एक तरफ चौड़ाई 7. 5 मीटर होगी यानी कुल चौड़ाई 15 मीटर होगी। बीच में डेढ़ मीटर का डिवाइडर बनेगा।
उप जिलाधिकारी मनीष कुमार ने बताया कि अतिक्रमण कार्यदायी संस्था को हटाना है। जब भी जरूरत पड़ेगी हम प्रशासन की ओर से मजिस्ट्रेट की तैनाती और पुलिस फोर्स उपलब्ध करा देंगे।
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गौरतलब है कि व्यापारियों के विरोध के चलते आज तीन वर्ष बाद भी घाट चौराहा से चंद्रभागा पुल तक अतिक्रमण हटाना तो दूर अतिक्रमण को चिन्हित नहीं किया जा सका है। विभाग, प्रशासन और पुलिस जब भी इस कार्य को करने के लिए गए तो मौके पर व्यापारी विरोध पर उतर आए। उसके बाद कभी कोविड कर्फ्यू तो कभी पुलिस फोर्स की कमी बहाना बनती रही। नेशनल हाईवे डिविजन घाट चौराहा तक सड़क को फोरलेन बना देता है तो इसका तब तक फायदा नहीं होने वाला जब तक घाट चौराहा से चंद्रभागा पुल तक अतिक्रमण नहीं हटाया जाता है।