दिल्ली। देश के चुनावों के इतिहास को चुनाव आयोग बदलने जा रहा है। मौलिक भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुज अग्रवाल के अनुसार जिन चुनाव सुधारों का आग़ाज़ एक समय में तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन ने किया था उसके बाद वर्तमान मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा उस दिशा में पहली बार इतने अधिक सक्रिय दिखे हैं। ऐसा लग रहा है जैसे मौलिक भारत के लोकतंत्र को मज़बूत बनाने की दिशा में चुनाव सुधारों के संबंध में आयोग को दिए गए प्रतिवेदन को लागू करने की दिशा में हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।

मौलिक भारत के उत्तर प्रदेश चैप्टर अध्यक्ष अमित त्यागी का कहना है कि कोरोना गाइडलाईनस के बहाने देश की चुनावी राजनीति की दिशा बदल दी गयी है।भारत में बिना रैली, रोड शो, नुक्कड़ सभा , शक्ति प्रदर्शनों आदि के चुनाव की कल्पना स्वप्न थी, किंतु समय की पुकार व कोरोना की मार ने सब कुछ करवा दिया। अब धन पशुओं व बाहुबलियों के खेल किसी हद तक नियंत्रण में आएँगे। हालाँकि अभी भी चुनाव से पूर्व मतदाताओं को पैसे व शराब आदि के लालच में मतदान करने की कोशिशें की जा सकती हैं जिन पर रोक लगाने की आवश्यकता है।
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गौरतलब है कि ‘मौलिक भारत’ संगठन चुनाव सुधार, सुशासन, पारदर्शिता एवं हिंदुस्तान के विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थानों की जनता के प्रति जवाबदेही के लिए 8 सालों से कार्यरत हैं। चुनाव आयोग ने मौलिक भारत के सुझावों के अनुरूप सन 2015 में मतदाता सूची को आधार कार्ड से जोड़ने का अभियान प्रारंभ किया था जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक दिया गया था किंतु हाल ही में संसद द्वारा पारित क़ानून के माध्यम से उसे पुनः लागू किया जा रहा है।
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