मुंबई| राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने बुधवार को आरोप लगाया कि राज ठाकरे भारतीय जनता पार्टी की बोल रहे हैं। उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख ने समान नागरिक संहिता की हिमायत की थी और देश में जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण की जरूरत पर जोर दिया था।
मस्जिदों से तीन मई तक लाउडस्पीकर हटाने के राज्य सरकार को राज ठाकरे के अल्टीमेटम के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा, ‘‘सरकार इस बारे में गंभीरता से विचार करेगी’’, हालांकि उन्होंने विस्तार से कुछ नहीं कहा। उन्होंने राज ठाकरे के इस आरोप को भी खारिज कर दिया कि वह (पवार) एक नास्तिक हैं।
राकांपा प्रमुख ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं मंदिर जाता हूं, लेकिन दिखावा करने में यकीन नहीं करता।’’
पवार ने कहा कि उनके आदर्शों में प्रबोधनकर ठाकरे (राज ठाकरे के दादा) भी शामिल हैं, जिन्होंने भगवान और धर्म के नाम पर अपना फायदा पहुंचाने की कोशिश करने वाले लोगों का विरोध किया था।
उन्होंने मनसे प्रमुख पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘उन्होंने (प्रबोधनकर ने) असम्मान (ईश्वर और धर्म का) नहीं किया, लेकिन उन्होंने इसका नाजायज फायदा उठाने वालों की आलोचना की। हम लोग प्रबोधनकर की रचनाएं पढ़ते हैं लेकिन उनके परिवार के कुछ लोग शायद इसे नहीं पढ़ते होंगे। ’’
पवार ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में सामाजिक एकता में विघ्न डालने की कोशिश की जा रही है और राज्य में सांप्रदायिक विचारधारा को बढ़ावा दिया जा रहा है। राज ठाकरे ने ठाणे में मंगलवार रात मनसे की एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि यदि शिवसेना नीत राज्य सरकार ने अधिक ध्वनि वाले लाउडस्पीकर तीन मई से पहले मस्जिदों से नहीं हटाये तो मनसे कार्यकर्ता मस्जिदों के सामने हनुमान चालीसा बजाएंगे।
पवार ने कहा, ‘‘यह जाहिर है कि हम उनके (राज ठाकरे के) भाषण में वही सुनते हैं, जो भाजपा उन्हें बोलने को कहती है।’’ उन्होंने कहा कि मनसे प्रमुख ने भाजपा के खिलाफ एक शब्द तक नहीं बोला, लेकिन राकांपा पर निशाना साधा।
राकांपा, राज्य में महाविकास आघाडी सरकार में शामिल है। शिवसेना नीत इस गठबंधन में कांग्रेस भी शामिल है।
पवार ने कहा, ‘‘उन्होंने (राज ठाकरे ने) वह जिम्मेदारी निभाने की कोशिश की है जो भाजपा ने उन्हें दी होगी।’’ राज ठाकरे ने अपने भाषण में समान नागरिक संहिता की हिमायत की और देश में जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने की जरूरत पर जोर दिया था। पवार ने राज ठाकरे के इस इस दावे को ‘‘बचकाना’’ करार दिया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार के परिवार के सदस्यों के परिसरों में छापा मारा, लेकिन (बारामती से सांसद) सुप्रिया सुले के यहां नहीं। अजित पवार, राकांपा प्रमुख के भतीजे हैं।
राकांपा प्रमुख ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यदि अजित पवार के परिवार में कुछ होता है तो इसका मतलब है कि यह मेरे साथ हुआ। क्या आपको लगता है कि मैं और अजित पवार अलग हैं? क्या अजित और सुप्रिया चचेरे भाई-बहन नहीं हैं? क्या यह एक राजनीतिक आरोप है? यह एक बचकाना आरोप है।’’
मनसे प्रमुख पर प्रहार करते हुए राकांपा प्रमुख ने कहा कि लोगों को एक ऐसे व्यक्ति के बयानों को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है ,जो छह महीने या साल में एक बार बयान देते हैं। शरद पवार ने तंज करते हुए कहा कि वह मनसे प्रमुख और भाजपा के बीच सांठगांठ की प्रकृति के बारे में नहीं जानते हैं। उन्होंने सवाल किया, ‘‘वह (राज ठाकरे) इस (भाजपा के) बारे में एक शब्द भी नहीं बोलते हैं। इसका क्या मतलब है? लेकिन जो व्यक्ति खुद को नेता बताते हैं वह महंगाई या बेरोजगारी जैसे मुद्दे पर नहीं बोलते हैं। इसका क्या मतलब है? मनसे प्रमुख ने शरद पवार के 1999 में सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस से बाहर जाने और राकांपा गठित करने के बाद सत्ता के लिए उसी पार्टी (कांग्रेस) से गठजोड़ करने का भी जिक्र किया। पवार ने कहा, ‘‘सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनना चाहिए या नहीं, इस पर मेरा विचार लोगों के बीच है। लेकिन मैं यह रेखांकित करना चाहता हूं कि सोनिया गांधी ने कहा था कि वह प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवार नहीं हैं। इसलिए, जब उन्होंने यह घोषणा कर दी तभी यह मुद्दा खत्म हो गया।’’ पवार ने राज ठाकरे के इस आरोप को खारिज कर दिया कि वह जाति की राजनीति करते हैं और छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम नहीं लेते हैं। राज ठाकरे ने अक्सर ही अपना राजनीतिक रुख बदलने को लेकर राकांपा नेताओं पर निशाना साधा है।
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पवार ने यह भी कहा कि राज ठाकरे की रैलियों में इस लिए भारी भीड़ जुटती है कि वह अपशब्दों वाली का इस्तेमाल करते हैं और दूसरों का मजाक उड़ाते हैं जिससे लोगों का मनोरंजन होता है।
राकांपा प्रमुख ने एक सवाल के जवाब में कहा कि यदि भाजपा नेता किरीट सोमैया ने ‘सेव आईएनएस विक्रांत’ अभियान के दौरान लोगों से जुटाये गये धन को भाजपा को सौंप दिया था तो यह आपत्तिजनक है।
वहीं, एक अन्य सवाल के जवाब में पवार ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसियां महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दोनों गैर भाजपा शासित राज्यों, में सत्तारूढ़ दलों के पीछे पड़ी हुई है।