गुजरात के सूरत जिले में पुलिस ने एक ऐसे रैकेट का भंडाफोड़ किया जो झोलाछाप डॉक्टरों को फर्जी सर्टिफिकेट जारी कर उन्हें डॉक्टर बता रहा था। एक समाचार पत्र से मिली जानकारी के अनुसार, सूरत शहर के पांडेसरा में पुलिस ने 14 लोगों को गिरफ्तार किया है जो डॉक्टर होने का दावा करने वाले अयोग्य व्यक्तियों को फर्जी मेडिकल डिग्री जारी करने का रैकेट चला रहे थे।
बीईएमएस डिग्री के फर्जी सर्टिफिकेट जारी कर रहे आरोपी
डॉ. बीके रावत और डॉ. रसेश गुजराती नाम के दो सरगना बैचलर ऑफ इलेक्ट्रो होम्योपैथिक मेडिसिन (बीईएमएस) नामक डिग्री के फर्जी सर्टिफिकेट जारी कर रहे हैं और हर सर्टिफिकेट के लिए 75000 रुपये वसूल रहे हैं। इस फर्जी सर्टिफिकेट स्कीम से उन्होंने 10 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की है।
डॉ रावत के पास आयुर्वेद में डिग्री (बीएएमएस) है और डॉ गुजराती के पास होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी (डीएचएमएस) में डिप्लोमा की डिग्री है।
तीन झोलाछाप डॉक्टर्स के पास मिली फर्जी डिग्रियां
यह घोटाला तब उजागर हुआ जब पुलिस ने पांडेसरा क्षेत्र में प्रैक्टिस कर रहे तीन झोलाछाप डॉक्टरों की जांच शुरू की, क्योंकि उन तीनों के पास रावत और गुजराती द्वारा जारी की गई बीईएमएस मेडिकल डिग्रियां थीं।
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रावत के कार्यालय पर छापे में 10 खाली सर्टिफिकेट पेपर, 30 पहले से भरे हुए सर्टिफिकेट, 160 आवेदन पत्र, 12 आईडी कार्ड और 2 फर्जी डॉक्टरों द्वारा संचालित वेबसाइट पर 1600 से अधिक लोगों के विवरण मिले। फर्जी मेडिकल डिग्री को 2 तरीकों से लाया जा सकता था, एक बार में 75,000 रुपये का पूरा भुगतान और एक छोटी वार्षिक ‘नवीनीकरण’ फीस और दूसरा ‘किराये’ के तरीके से, जिसमें वार्षिक फीस 5000 रुपये से 10,000 रुपये के बीच थी।