जम्मू कश्मीर पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने बताया कि गत दिवस जम्मू के अरनिया में पाकिस्तान की तरफ से लश्कर ने ड्रोन से विस्फोटक, आइईडी, ग्रेनेड, पिस्तौल के अलावा पहली बार तरल रूप में एक केमिकल भेजा है।
यह तरल केमिकल क्या है, यह किस मकसद के लिए भेजा गया और किस तरह का नुकसान पहुंचा सकता है, इसका विश्लेषण किया जा रहा है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि सीमा पार से हथियारों की खेप के साथ मादक पदार्थ भी भेजे जा रहे हैं। इन मादक पदार्थों को बेचकर आतंकवाद के लिए फंडिंग की जा रही है। पिछले दो वर्षों से पुलिस और सुरक्षाबल इस नई चुनौती का सामना करते हुए इस साजिश को बखूबी नाकाम कर रहे हैं।
ऊधमपुर में नवनिर्मित महिला पुलिस थाने का उद्घाटन करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में डीजीपी ने कहा कि केवल ड्रोन ही सीमा पार से हथियार भेजने का जरिया नहीं है। प्रशिक्षित आतंकियों के लिए कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में सीमा पार से हथियार भेजे जाते हैं। साजिशें बहुत हो रही हैं, मगर पुलिस व सुरक्षाबल इनको नाकाम बना रहे हैं और अभी तक बहुत सा ऐसा सामान पकड़ा गया है।
डीजीपी ने कहा कि जम्मू कश्मीर के शांतिप्रिय क्षेत्र में अशांति फैलाने की दुश्मन देश की बदनीयत भरी ऐसी साजिशों का लंबा इतिहास है। आज भी वह जम्मू कश्मीर में दम तोड़ते आतंकवाद को किसी न किसी रूप में जिंदा रखने के लिए ऐसी हरकतें कर रहा है, जिसमें कभी टनल से तो कभी ड्रोन से आतंकियों के लिए हथियार भेजने का प्रयास करता रहता है। डीजीपी ने कहा कि अधिक आतंकियों को तैयार करने के लिए ही पाक की तरफ से हथियार भेजे जा रहे हैं। अफगान आतंकियों की घुसपैठ के संबंध में पूछे जाने पर डीजीपी ने ऐसा कोई इनपुट न होने की बात कही।
पिछले वर्ष 182 आतंकी मारे गए : डीजीपी ने बताया कि पिछले वर्ष जम्मू कश्मीर में 182 आतंकी मारे गए, जिनके पास से बरामद हथियारों की संख्या 300 से भी अधिक थी। बड़ी मात्रा में पकड़े जा रहे हथियारों की वजह से पाकिस्तान का प्रयास रहता है कि विस्फोटकों की कमी को ड्रोन की मदद से पूरा किया जाए। मगर पुलिस व सुरक्षाबलों का इंटेलिजेंस नेटवर्क और फिजिकल ग्रिड सतर्कता से अच्छी तरह से काम कर रहा है, जिससे हथियार आतंकियों तक पहुंचने से पहले ही सुरक्षाबल उनका पता लगाकर उनके नापाक मंसूबों को नाकाम कर रहे हैं।
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महिलाएं बिना डर के थानों में आकर बताएं अपनी शिकायतें : डीजीपी ने कहा कि थानों में आने को लेकर हिचकिचाहट के चलते महिलाओं से संबंधित काफी शिकायतें रिपार्ट नहीं हो पाती हैं। महिलाएं बिना डर के न्याय प्राप्त कर सकें, यही महिला थानों का बुनियादी मकसद है। राजौरी में महिला थाना बन चुका है, जम्मू और श्रीनगर में पहले से ये काम कर रहे हैं। कठुआ में डेढ़ वर्ष पूर्व इसका शुभारंभ किया गया था। बारामुला में भी इसे शुरू कर चुके हैं। अनंतनाग रेंज में महिला थाना लगभग तैयार है। पुलवामा में भी महिला थाना की व्यवस्था की जा रही है।