तालिबान का डर दिखाकर दुनिया के पैसा ऐंठने की पाकिस्तान के मंसूबे पर पानी फिर गया है। बाइडेन प्रशासन ने दो टूक कहा है कि उसे अफगानिस्तान में तालिबान के साथ बातचीत के लिए पाकिस्तान की मध्यस्थता की जरूरत नहीं है। इतना ही नहीं, अमेरिका ने यह भी कहा कि हमें अफगानिस्तान में मिशन को अंजाम देने के लिए पाकिस्तानी एयरस्पेस की भी कोई आवश्यक्ता नहीं है। अमेरिका के इस बयान को पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका बताया जा रहा है। पाकिस्तान 90 के दशक से ही अमेरिका समेत सभी पश्चिमी देशों को तालिबान का डर दिखाते हुए पैसे कमाता रहा है। यह वही पाकिस्तान है, जिसने अफगानिस्तान से सोवियत सेना को खदेड़ने के लिए पाकिस्तान की मदद की और जमकर पैसा बनाया। जब अमेरिका का पैदा किया तालिबान उसी के लिए खतरा बना तो पाकिस्तान ने 2008 तक उसी डर को बेच अमेरिका से भारी-भरकम सैन्य सहायता प्राप्त की।
हमें पाकिस्तानी मध्यस्थता की जरूरत नहीं
अफगानिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि थॉमस वेस्ट ने कहा कि अमेरिका को अफगानिस्तान तालिबान के साथ अपने संबंधों को अच्छा बनाने के लिए पाकिस्तान या किसी अन्य देश की जरूरत नहीं है। वेस्ट ने कहा कि ईमानदारी से कहूं तो, मुझे नहीं लगता कि हमें तालिबान के साथ अपने जुड़ाव को सुविधाजनक बनाने के लिए किसी तीसरे देश की आवश्यकता है। मैं तालिबान के नियमित संपर्क में हूं। अमेरिकी सरकार में मेरे अन्य सहयोगी भी हैं जो इसमें शामिल हैं। मुझे लगता है कि संवाद प्रत्यक्ष होना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि हमें किसी तीसरे देश की जरूरत है।
अमेरिका को पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र की भी आवश्यक्ता नहीं
वॉयस ऑफ अमेरिका की उर्दू प्रसारण सेवा को दिए इंटरव्यू में वेस्ट ने इस सुझाव को भी खारिज कर दिया कि संयुक्त राज्य अमेरिका को अफगानिस्तान तक पहुंचने के लिए पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “हमें यह सुनिश्चित करने के लिए कूटनीति जारी रखने की आवश्यकता है कि तालिबान आतंकवाद के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करें। अफगानों के अधिकारों को बनाए रखें जो वर्तमान सरकार पूरी नहीं कर पा रही है। मुझे लगता है कि हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि अन्य देशों जो अफगानिस्तान के साथ सीमा साझा करते हैं और एक भाषा, संस्कृतियां और परंपराएं निभाते हैं, उन देशों में भी आतंकवाद न फैले।
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अमेरिका बोला- हमारे पास अपने लोगों के रक्षा की क्षमता
वेस्ट से पूछा गया कि क्या अमेरिका को पाकिस्तान के माध्यम से अफगानिस्तान तक पहुंच की आवश्यकता है। इस पर उन्होंने कहा कि हमें अभी इसकी कोई जरूरत नहीं है. अगस्त 2021 में हमने अफगानिस्तान को पूर्ण रूप से छोड़ दिया था। उसके बाद हमने अपनी क्षमताओं का पुर्नगठन किया है। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आतंकवादी अमेरिका या हमारे सहयोगियों को फिर कभी धमकी न दें। उन्होंने कहा कि इस साल की शुरुआत में काबुल में अल कायदा सरगना अयमान अल-जवाहिरी को मारने वाले अमेरिकी ड्रोन हमले ने स्पष्ट किया है कि हमारे पास अमेरिकियों की रक्षा करने की क्षमता है।”