कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन का मुद्दा अब विपक्ष का नया हथियार बन चुका है। शनिवार को संसद परिसर में हुई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इसी हथियार से हुए वार का सामना करना पड़ा। दरअसल, बीते दिन शुरू हुए बजट सत्र के दूसरे दिल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने किसान आंदोलन का मुद्दा उठाते हुए जमकर हमला बोला। इस बैठक में किसान आंदोलन के मुद्दे को लेकर एनडीए और विपक्षी दलों के बीच जमकर झड़प देखने को मिली।
किसान आंदोलन को लेकर विपक्ष ने दागे कई सवाल
दरअसल, इस बैठक में विपक्ष ने किसान आंदोलन का मुद्दा उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने कई सवाल दागे। प्रधानमंत्री ने भी विपक्ष के इन सवालों का जमकर उत्तर दिया। बैठक में राज्यसभा में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, लोकसभा में टीएमसी नेता सुदीप बंद्योपाध्याय, शिवसेना सांसद विनायक राउत और अकाली दल के बलविंदर सिंह भांडेर ने दो महीने से ज्यादा समय से चल रहे किसान आंदोलन का सरकार की ओर से हल न निकाले जाने को लेकर सवाल किया। वहीं जदयू के आरसीपी सिंह ने सरकार का समर्थन किया।
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि बैठक के बाद बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक में कहा है कि कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से जो कहा, उसे सरकार फिर दोहरा रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जो प्रस्ताव दिया था, हम उस पर चर्चा के लिए तैयार है। कृषिमंत्री ने कहा है कि वो बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं। किसान जब चाहें विमर्श कर सकते हैं। सरकार का प्रस्ताव अब भी वही है और हम कहना चाहते हैं कि इसका समाधान बातचीत के जरिए ही निकलेगा।
प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में ज्यादातर पार्टियों ने हिस्सा लिया। विपक्ष ने मांग की है कि लोकसभा में बिल के अलावा चर्चा हो, सरकार इसके लिए सहमत है। विपक्ष ने किसानों के मुद्दे पर भी चर्चा की मांग की है। इसके लिए भी सरकार तैयार है।
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इससे पहले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार किाया। राजस्थान के नागौर से सांसद बेनीवाल ने कहा कि आज वर्चुअल माध्यम से बजट सत्र को लेकर होने वाली सर्वदलीय बैठक का किसान आंदोलन के समर्थन में बहिष्कार करता हूं। प्रधानमंत्री से फिर अपील करता हूं कि आप तत्काल प्रभाव से किसानों की मांग पर सकारात्मक निर्णय लें। बता दें कि संसद का बजट सत्र शुक्रवार से शुरू हो चुका है।