माघ की अमावस्या मौनी अमावस्या गुरुवार को है। माघ माह के महास्नान पर्व पर श्रद्धालु मौन रह महोदय योग में गंगा और अन्य नदियों में आस्था की डुबकी लगायेंगे। खास बात यह है कि इस वर्ष मौनी अमावस्या के दिन श्रवण नक्षत्र में चंद्रमा और छह ग्रह मकर राशि में होने महासंयोग बना रहे हैं। इस महासंयोग को महोदय योग कहते हैं।
सनातन धर्म में मान्यता है कि माघ अमावस्या के दिन संगट तट और गंगा पर देवी-देवताओं का वास होता है। महोदय योग में कुंभ और गंगा में डुबकी और पितरों का पूजन करने से अच्छे फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन पवित्र नदी या कुंड में स्नान करना शुभ फलदायी माना जाता है। स्नान पर्व को लेकर बुधवार को गंगाघाटों पर पुजारी और पंडे भी तैयारियों में जुटे रहे। पंड़े अपने छतरी और चैकियों की साफ सफाई के साथ पूजन सामग्री जुटाने में लगे रहे।
घाटों पर उमड़ने वाली भीड़ को देख जिला प्रशासन भी सुरक्षा व्यवस्था के कवायद में जुटा रहा। उधर, शहर और ग्रामीण अंचल के हजारों श्रद्धालु निजी और सार्वजनिक साधनों से प्रयागराज के संगम तट पर डुबकी लगाने के लिए दोपहर बाद से ही रवाना होने लगे।
मौन साधना से अच्छे स्वास्थ्य और ज्ञान की प्राप्ति, ग्रह दोष भी होता है दूर
मौनी अमावस्या पर्व पर मौन रह गंगा स्नान का खास महत्व है। धार्मिक दृष्टि से यह तिथि बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। कर्मकांडी ब्राह्मण प्रदीप पांडेय बताते है कि पूरे साल में 12 अमावस्या होती है। इसमें से मौनी अमावस्या का अपना खास महत्व है। मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर स्नान और दान करने का विशेष महत्व माना गया है। अमावस्या पर पूरे दिन मौन रहें तो इससे अच्छे स्वास्थ्य और ज्ञान की प्राप्ति होती है। ग्रह दोष दूर करने के लिए भी अमावस्या खास मानी गई है।
यह भी पढ़ें: बुधवार को करें इस मंत्र का जाप, गणपति को लगाए मोदक का भोग
उन्होंने बताया कि मौनी अमावस्या पर किये गये दान-पुण्य का फल सौगुना अधिक मिलता है। कहा जाता है कि इस दिन गंगा का जल अमृत से समान होता है। मौनी अमावस्या को किया गया गंगा स्नान अद्भुत पुण्य प्रदान करता है। प्रदीप पांडेय ने बताया कि इस बार अमावस्या रात एक बजे लग रही है। जो 11 फरवरी गुरूवार रात 12.36 मिनट तक तिथि रहेगी। गुरूवार दिन में अपराह्न 02.05 मिनट तक पुण्य काल और श्रवण नक्षत्र और महोदय योग रहेगा। पर्व पर तड़के ही मौन रहकर पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। सुबह स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए और भगवान विष्णु को घी का दीप दान करना चाहिए। भगवान को तिल अर्पित करना चाहिए। इसके बाद तिल, गुड़, वस्त्र और अन्न धन का दान करना फलदायी होता है। किसी लाचार या गरीब व्यक्ति को दान जरूर देना चाहिए। साथ ही इस दिन पीपल को जल देना और पीपल के पत्तों पर मिठाई रखकर पितरों को अर्पित करना चाहिए। इससे पितृदोष दूर होता है और पितरों की आत्मा को शांति भी मिलती है।