बजट का बड़ा हिस्सा खत्म नहीं हुआ, रक्षा मंत्री ने खर्च में तेजी लाने को कहा

वित्तीय वर्ष 2021-22 खत्म होने में महज दो माह का समय बचा है लेकिन तीनों सेनाओं का पूंजीगत बजट का बड़ा हिस्सा अभी तक खर्च ही नहीं किया गया है। अब तक सेना ने अपने पूंजीगत बजट का सबसे कम लगभग 40% और भारतीय वायु सेना ने लगभग 70% खर्च किया है। नौसेना ने अपने पूंजीगत परिव्यय का सबसे ज्यादा हिस्सा 90% खर्च किया है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने समीक्षा बैठक में पूंजीगत बजट के खर्च में तेजी लाने के लिए कहा है ताकि वित्तीय वर्ष के अंत तक अधिकतम राशि खर्च की जा सके।

चीन के साथ लंबे समय से चल रहे तनाव और पाकिस्तान की ओर से लगातार जारी आतंकी घुसपैठ के बीच वित्तीय वर्ष 2021-22 का रक्षा बजट पिछले 15 वर्षों में 18.75 प्रतिशत बढ़ाकर 4,78,195.62 करोड़ रुपये आवंटित किया गया था। इस बजट में रक्षा क्षेत्र की पेंशन को छोड़कर कुल 3,62,345.62 करोड़ रुपये का बजट सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और बुनियादी ढांचा विकास के लिए था, जो वित्त वर्ष 2020-21 की तुलना में 24,792.62 करोड़ रुपये अधिक है। वित्त वर्ष 2021-22 के लिए पूंजीगत व्यय आवंटन 1,35,060.72 करोड़ रुपये था, जो वित्त वर्ष 2020-21 की तुलना में 18.75 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2019-20 की तुलना में 30.62 प्रतिशत अधिक था। इसमें सबसे ज्यादा भारतीय वायुसेना के पूंजीगत व्यय में लगभग 23% की वृद्धि हुई थी।

रक्षा बजट को चार व्यापक मदों में बांटा गया था जिसमें रक्षा पेंशन, पूंजीगत परिव्यय (नए, बड़े अधिग्रहण और आधुनिकीकरण), राजस्व (पुर्जों के छोटे अधिग्रहण के लिए, रखरखाव लागत) और विविध में विभिन्न प्रशासनिक खर्च शामिल हैं। 2021-22 के लिए कुल रक्षा बजट 4.78 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें पूंजीगत बजट 1.35 लाख करोड़ रुपये है। चालू वित्त वर्ष में सेना के लिए पूंजी परिव्यय 36,000 करोड़ रुपये, नौसेना के लिए 33,000 रुपये और भारतीय वायुसेना के लिए 58,000 करोड़ रुपये है। वित्तीय वर्ष 2021-22 खत्म होने में अब महज दो माह का समय बचा है लेकिन अब तक सेना ने अपने पूंजीगत बजट का सबसे कम लगभग 40% खर्च किया है। भारतीय वायु सेना का पूंजीगत व्यय लगभग 70% है। तीनों सेनाओं में सबसे अधिक नौसेना ने अपने पूंजीगत परिव्यय का लगभग 90% हिस्सा खर्च किया है।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले हफ्ते अब तक खर्च हुए बजट की समीक्षा करने के लिए वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने तीनों सेनाओं की स्वदेशी खरीद और लक्ष्यों को पूरा करने में प्रगति की समीक्षा करने के बाद पूंजीगत बजट के खर्च में तेजी लाने के लिए कहा ताकि वित्तीय वर्ष के अंत तक अधिकतम राशि खर्च की जा सके। रक्षामंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि सेनाओं को पूंजीगत बजट पर निर्धारित अपने घरेलू व्यय लक्ष्यों को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। चालू वित्त वर्ष में इसे 64% पर रखा गया था, जबकि पिछले वर्ष में यह 58% था। इस साल 18.75 प्रतिशत बढ़ाकर आवंटित किये रक्षा बजट को धीमी गति से खर्च करने के पीछे का कारण कोरोना महामारी को बताया जा रहा है, जिसके कारण कई अनुबंधों को अमल में नहीं लाया जा सका और डिलीवरी में देरी हुई।

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रक्षा सूत्रों का कहना है कि तीनों सेनाएं अब उन खरीद को सूचीबद्ध करने की कोशिश कर रही हैं जो पूंजीगत बजट के अधिकतम व्यय को सुनिश्चित करने के लिए हैं। इसमें हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर की खरीद, कुछ उपकरणों के उन्नयन के अनुबंध और अन्य जहाज निर्माण अनुबंध शामिल हैं। लगभग 60% अप्रयुक्त बजट (21,889 करोड़) का इस्तेमाल अगले माह के भीतर 200 के-9 वज्र टैंक के लिए 9000 करोड़, 150 एटीएजीएस के लिए 3365 करोड़, 118 अर्जुन एमके-1ए टैंक के लिए 7523 करोड़ और 10 एलसीएच के लिए 1200 करोड़ रुपये का भुगतान करने में किया जा सकता है।