पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को देश में आपातकाल की घोषणा की थी। 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक 21 महीने तक इमरजेंसी लगी थी। इस दौरान नागरिक अधिकारों को कुचल दिया गया। प्रेस पर सेंसरशिप लागू हो गई। देशभर के क्रांतिकारी नेताओं को जेल में डाल दिया गया। अखबारों में वही छपता और आकाशवाणी पर वही प्रसारित होता था जो सरकार चाहती थी। देश में आपातकाल की जानकारी आम जनता को ऑल इंडिया रेडियो के जरिए दी गई थी।
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इंदिरा की नीतियों का विरोध कर रहे कई और नेताओं को भी गिरफ्तार कर लिया गया और देशभर की कई जेलों में डाल दिया गया। सिनेमा भी आपातकाल से अछूता नहीं रहा। कई लोगों ने सरकार के आगे घुटने टेक दिए लेकिन कुछ ने ऐसा करने से मना कर दिया। इनमें से एक थे मशहूर सिंगर-कंपोजर किशोर कुमार।
कहा जाता है कि वो अपने नियमों के काफी पक्के थे और अपने उसूलों से कभी समझौता नहीं करते थे, शायद इसी का नतीजा रहा कि उनके गानों पर पाबंदी लगा दी गई थी। दरअसल, आपातकाल के दौरान कांग्रेस सरकार चाहती थी कि सरकारी योजनाओं की जानकारी किशोर कुमार अपनी आवाज में गाना गाकर दें।
कांग्रेस को भी समझ आ गया था कि उन्हें एक ऐसे आवाज की जरूरत है जो उसकी बात आम जनता तक पहुंचा सके। उन दिनों किशोर कुमार काफी पॉपुलर थे। उनकी आवाज की जनता फैन थी। या यूं कहें कि आज भी लोग उनकी आवाज पर मरते हैं। इसके लिए उन्होंने किशोर कुमार से संपर्क किया।
इंदिरा गांधी सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री वीसी शुक्ला ने किशोर कुमार के पास संदेशा भिजवाया कि वो इंदिरा गांधी के लिए गीत गाएं जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक सरकार की आवाज पहुंचे लेकिन किशोर कुमार ने गाना गाने से मना कर दिया। किशोर कुमार ने संदेश देने वाले से पूछा कि उन्हें ये गाना क्यों गाना चाहिए तो उसने कहा, क्योंकि वीसी शुक्ला ने ये आदेश दिया है।
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आदेश देने की बात सुनकर किशोर कुमार भड़क गए और उन्होंने उसे डांटते हुए मना कर दिया। यह बात कांग्रेस को इस कदर नागवार गुजरी कि उन्होंने किशोर कुमार के गाने ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन पर बैन कर दिए। यह बैन 3 मई 1976 से लेकर आपातकाल खत्म होने तक जारी रहा। किशोर कुमार के गाने ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन पर नहीं चलाए जाते थे।