उत्तर प्रदेश के कानपुर छावनी में बीते दिन सोमवार को देर रात ट्रेन की चपेट में आने से एक युवक के दोनों पैर जांघ के नीचे से कट गए। परिवार वाले घायल युवक को कटे हुए पैरों के साथ हैलट अस्पताल लेकर पहुंचे। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। अस्पताल से मिले शव के दोनों पैर गायब देख भड़के परिवार वालों ने शव को ले जाने से मना करते हुए हंगामा खड़ा कर दिया। इस घटना की पर पहुंचे छावनी थाना प्रभारी परिवार वालों को देर शाम तक समझाने का प्रयास करते रहे।
छावनी के संजयनगर में रहने वाले एक रिक्शा चालक जगदीश यादव का बेटा हर्ष (18) पोस्टर-बैनर लगाने का काम करता था। बीते सोमवार की रात करीब 12:00 बजे वह काम खत्म कर घर लौट रहा था। चुंगी क्रॉसिंग के पास रेलवे लाइन पार करते समय ट्रेन की चपेट में आ गया। इस दर्दनाक हादसे में उसके दोनों पैर कट गए। सिर व शरीर पर भी कई गंभीर चोटें आईं। इस हादसे जानकारी मिलने पर पहुंचे परिवार वाले उसे कटे हुए पैर के साथ एंबुलेंस से हैलट अस्पताल लेकर पहुंचे। मृतक के जीजा वीरेंद्र ने बताया कि वह हर्ष के कटे दोनों पैर एक पॉलिथीन में रखकर हैलट इमजेंसी में लेकर आए थे। सुबह होते ही हर्ष की मौत हो गई।
आरोप यह है कि डॉक्टरों जबरन एक कागज पर हस्ताक्षर कराए। इसके बाद दोनों पैर अचानक गायब कर दिए। परिवार वालों की रजामंदी के बगैर बिना पैर के शव को अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया गया। इस मामले में EMO और इमरजेंसी के PRO ने भी सह जवाब नहीं दिया तो परिजनों ने हैलट इमरजेंसी और CMS ऑफिस के बाहर करीब साढ़े 4 घंटे तक हंगामा किया। शव का पंचायतनामा शांत कराने पहुंचे पुलिस कर्मियों से भी परिजनों की तकरार हुई। छावनी थाना प्रभारी अजय कुमार सिंह गुस्से में परिजनों को समझाने में कोशिश में जुटे रहे।
हैलट इमरजेंसी में हर्ष की मौत के बाद पुलिस इनफॉरमेशन रजिस्टर में युवक की मौत का समय आज 3 अक्तूबर यानी की मंगलवार की सुबह 5:30 बजे दर्ज किया गया। जबकि परिवार वालों ने 4:30 बजे हुई मौत का समय बता रहे हैं। इमरजेंसी की सिस्टर नर्स का कहना है कि युवक के कटे पैरों को आज मंगलवार की सुबह नौ-10 बजे के बीच चिकित्सा प्रदूषण नियंत्रण समिति (MPPCC) की गाड़ी आने पर उसमें डाल दिए गए थे। सवाल यह है कि युवक की मौत के बाद शव को मोर्चरी में रखवाया गया तो कटे हुए पैर भी बॉडी के साथ क्यों नहीं रखवाए गए।