गहरे संकट से जूझ रहे श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को देश से भागने में भारत ने किसी प्रकार की मदद नहीं की। भारतीय उच्चायोग ने ये स्पष्ट कर दिया है। आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया के बारे में ये कहा जा रहा है कि वह देश छोड़कर फरार हो गए हैं। वे देश छोडऩे के बाद पत्नी व कुछ रिश्तेदारों के साथ मालदीव पहुंच गए हैं। भारत ने मीडिया की उन खबरों का खंडन किया है, जिसमें यह कहा गया है कि गोटबाया राजपक्षे को देश छोडऩे में भारत ने मदद की है।

सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति श्रीलंका से सेना के विमान से मालदीव पहुंचे हैं। श्रीलंका में सारा बवाल ही राजपक्षे परिवार के खिलाफ चल रहा है। देश की अर्थव्यवस्था को न संभाल पाने के कारण उनके और उनके परिवार के खिलाफ भारी जन आक्रोश है।
भारतीय उच्चायोग ने ट्वीट कर इन खबरों का खंडन किया है जिसमें राजपक्षे को भारत की मदद की अफवाह फैलायी जा रही है। श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग ने ट्वीट किया, ‘उच्चायोग मीडिया में आयी उन खबरों को निराधार तथा महज अटकल के तौर पर खारिज करता है कि भारत ने गोटबाया राजपक्षे को श्रीलंका से बाहर जाने में मदद की। उच्चायोग ने कहा कि भारत लोकतांत्रिक माध्यमों और मूल्यों, स्थापित लोकतांत्रिक संस्थानों और संवैधानिक रूपरेखा के जरिए समृद्धि एवं प्रगति की आकांक्षाओं को पूरा करने में श्रीलंका के लोगों का सहयोग करता रहेगा।
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हालांकि बाद में सेना ने इस बात को स्वीकार किया कि उसने राष्ट्रपति को देश से जाने के लिए विमान मुहैया कराया था। श्रीलंका की वायु सेना ने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि सरकार के अनुरोध पर और संविधान के तहत राष्ट्रपति को मिली शक्तियों के अनुसार रक्षा मंत्रालय की पूर्ण स्वीकृति के साथ राष्ट्रपति, उनकी पत्नी और दो सुरक्षा अधिकारियों को 13 जुलाई को कातुनायके अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से मालदीव रवाना होने के लिए श्रीलंकाई वायु सेना का विमान उपलब्ध कराया गया।
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