हमारे देश में दिशा से लेकर नंबर तक को शुभ-अशुभ (Auspicious-Inauspicious) मानने वाले लोग हैं. नंबरों को हमारे यहां खास महत्व दिया जाता है. किसी भी शुभ काम के लिए तारीख देखी जाती है. इसके लिए नंबरों की गणना की जाती है. यहां तक कि हर किसी का कोई ना कोई लकी नंबर (Lucky Number) होता ही है और इसके पीछे होते हैं. सबके अपने-अपने तर्क. हालांकि, कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो नंबरों पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं करते हैं. इसी तरह का एक नंबर है ‘420’. इस नंबर को हमारे देश में ठीक नहीं माना जाता है और इसका असर देश की संसद (Parliament) में भी दिखता है.
अब सवाल यह है कि संसद के निचले सदन लोकसभा में कुल 543 सदस्य चुनकर पहुंचते हैं. सभी के लिए वहां पर सीट निर्धारित किए जाते हैं. ऐसे में ‘420’ नंबर की सीट पर कौन सा सदस्य बैठता है?
क्या है ‘420’ के पीछे का मामला?
देश की संसद में ‘420’ नंबर सीट को जगह ही नहीं दी गई है. 14वीं लोकसभा से ही ये नंबर किसी भी सांसद को आवंटित नहीं किया जा रहा है. दरअसल, भारतीय दंड संहिता में ‘धारा 420’ के तहत जालसाजी व धोखाधड़ी करने वाले लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाता है. इसलिए इस नंबर को हमारे देश में धोखेबाजी का प्रतीक माना जाता है. बात-बात में लोग ‘420’ नंबर का जिक्र भी जालसाजी करने वालों के लिए करते हैं.
तो क्या लोकसभा में है ‘420’ नंबर की सीट?
तो बात कुछ यूं है कि 14वीं लोकसभा के दौरान देश के अलग-अलग हिस्से चुनकर आए सांसदों को सीट नंबर अलॉट किए जा रहे थे. इसी दौरान एक सदस्य को 420 नंबर की सीट निर्धारित की. जिसको उस सदस्य ने अपने प्रति अपमान समझा और उसे निरस्त करने की मांग स्पीकर से की. सदस्य की आपत्ति के बाद लोकसभा ने 420 नंबर की सीट को निरस्त करते हुए उसकी जगह कुर्सी का नंबर 419-A बनाई.
कौन तय करता है सांसदों की बैठने की सीट?
लोकसभा में कौन सा सदस्य कहां बैठेगा इस बात का निर्णय करने का अधिकार लोकसभा स्पीकर के पास होता है.लोकसभा की सीटों को 6 ब्लॉक में बांटा गया है. प्रत्येक ब्लॉक में 11 पंक्तियां हैं.
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किसे मिली थी 419-A सीट?
15वीं लोकसभा में सीट आवंटन के दौरान 420वें नंबर पर आने वाले असम यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट’ (AIUDF) के सांसद बदरुद्दीन अजमल को 420 नंबर की जगह 419-A नंबर की सीट आवंटित की गई थी. बता दें कि भारतीय संविधान में व्यवस्था है कि सदन की अधिकतम सदस्य संख्या 552 होगी.