दुष्कर्म और पॉस्को एक्ट में आजीवन कारावास के सज़ायाफ्ता पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति के लिये सपा अब जनता से ‘न्याय’ मांगने जा रही है। अमेठी से इस बार उनकी पत्नी महराजी देवी को टिकट दिया गया और पूरे सपा के लिए चुनाव प्रचार के केंद्र में गायत्री ही हैं जिनके किये कथित ‘न्याय’ की उम्मीद जनता से की जा रही है। पार्टी के इस दांव की तैयारी पिछले साल नवंबर से ही शुरू हो गए थे, जब प्रजापति को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। हालांकि यह आने वाला समय बताएगा कि जनता इसपर अपना क्या निर्णय सुनाती है।
– अमेठी के बेटे के लिये ‘इमोशनल टच’
दुष्कर्म और पॉस्को एक्ट में कोर्ट के ही फ़ैसले को अब समाजवादी पार्टी अमेठी में इमोशनल टच देने जा रही है, जिसकी तैयारी पिछ्ले नवंबर में आये कोर्ट के फैसले से ही हो चुकी है।
दरअसल, 2017 के लिए अमेठी से सपा उम्मीदवार के रूप में गायत्री प्रजापति की पत्नी महराजी देवी चुनाव लड़ने जा रही हैं, हालांकि प्रचार के केंद्र में गायत्री ही हैं जिनके लिए अब जनता से ‘न्याय’ मांगने की तैयारी है। इसके लिए बाकायदा बैनर पोस्टर लगाए जा रहे हैं जिनमें लिखा है ‘आपका एक बहुमुल्य वोट अमेठी के बेटे को न्याय दिलाएगा’।
गायत्री प्रजापति के बेटे अनुराग ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि अमेठी की जनता को लगता है कि उनके नेता के साथ न्याय नहीं हुआ है और जनता इसका इसे चुनाव परिणाम के रूप में साबित करेगी। हालांकि इसको लेकर सपा के ही अंदरखाने सुगबुगाहट शुरू हो गई जो चुनाव के नजदीक आते—आते बड़ा रूप ले सकती है।
हमारा इरादा भारत में एक वास्तविक गणतंत्र की स्थापना होना चाहिए : डॉ. मोहन भागवत
– गायत्री प्रजापति पर दुष्कर्म, पॉस्को एक्ट सहित कई हैं गंभीर मामले
सपा शासनकाल में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रजापति कई गंभीर मामले में आरोपी हैं। उन पर दुष्कर्म,पॉस्को एक्ट सहित आय से अधिक संपत्ति और प्रवर्तन निदेशालय में भी मामले दर्ज हैं। जिनमें पिछले 12 नवम्बर को दुष्कर्म मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। चित्रकूट की एक रेप पीड़िता की शिकायत पर यह फ़ैसला सुनाया गया था, जिसमें गायत्री प्रजापति, आशीष और अशोक तिवारी को आजीवन कारावास की सजा हुई थी। हालांकि पूर्व मंत्री के ख़िलाफ़ एफआईआर भी दर्ज करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का सहारा लेना पड़ा और 2017 में लखनऊ के गौतम पल्ली थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था। इसके अलावा उनपर आय से अधिक संपत्ति के मामले में भी विजिलेंस जांच चल रही है और प्रवर्तन निदेशालय ने भी मुकदमा दर्ज किया है। प्रजापति इसके ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटा चुके हैं, लेकिन उन्हें अभी तक कोई राहत नहीं मिल सकी है।