दिल्ली की एक अदालत ने हाल ही में 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के दौरान एक मस्जिद और आसपास के घरों में आग लगाने के आरोपी पिता-पुत्र की जोड़ी को बरी कर दिया है। कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने मामले में संदेह का लाभ देते हुए मिट्ठन सिंह और जोनी कुमार को बरी कर दिया।
मोहम्मद मुनाजिर नामक व्यक्ति की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। मुनाजिर ने आरोप लगाया था कि फातिमा मस्जिद से नमाज अदा करने के बाद घर लौटते समय उसने अपनी गली में भीड़ देखी।
उन्होंने आरोप लगाया कि पहले दंगाइयों ने फातिमा मस्जिद के शीशे तोड़कर उसमें आग लगा दी और फिर आस-पास के घरों में आग लगा दी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनके घर पर पत्थर फेंके जा रहे थे, गोलियां चलने की आवाजें आ रही थीं और गैस सिलेंडर फेंके जा रहे थे।
इसके अलावा, उन्होंने आरोप लगाया कि उनका घर पूरी तरह जला दिया गया और उनके घर से सोने के आभूषण और 1,50,000 रुपये नकद लूट लिए गए।
20 दिसंबर, 2021 को दोनों आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 147 (दंगा), 148 (घातक हथियार से लैस होकर दंगा), 392 (डकैती), 436 (घर या अन्य इमारत को नष्ट करने के इरादे से आग या विस्फोटक पदार्थों से उत्पात) और 149 (गैरकानूनी सभा) के तहत आरोप तय किए गए थे।
दोनों को बरी करते हुए अदालत ने कहा कि सभी पीड़ित या सरकारी गवाह दोनों आरोपियों की पहचान के मामले में अभियोजन पक्ष के मामले से मुकर गए। अदालत ने कहा कि उन सभी ने दंगाइयों के बीच दोनों आरोपियों को देखने से इनकार किया।