कृषि कानूनों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही शीर्षतम अदालत ने इस इस मामले के निस्तारण के लिए एक कमेटी का गठन भी किया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर किसान संगठनों ने आपत्ति तो जताई ही है। साथ ही केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट पर निराशा जताई है। हालांकि मोदी सरकार ने यह जरूर कहा है कि अदालत का फैसला सर्वमान्य है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर मंत्री ने दिया यह बयान
दरअसल, शीर्षतम अदातल के फैसले पर केंद्रीय मंत्रियों ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला मान्य है। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने एक न्यूज़ एजेंसी से कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश हमारी इच्छा के विपरीत है क्योंकि हम कानून को लागू रखना चाहते हैं, लेकिन यह सर्वमान्य है।
कैलाश चौधरी ने कहा कि एक निष्पक्ष समिति गठित की गई है, यह देश भर में सभी किसानों, विशेषज्ञों की राय लेने के बाद रिपोर्ट तैयार करेगी। उन्होंने 15 जनवरी को निर्धारित बैठक पर कहा कि सरकार बातचीत के लिये हमेशा तैयार है, किसान संघों को यह तय करना है कि वो क्या चाहते हैं।
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वहीं केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने किसान संगठनों पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले संसद के फैसले से इन्कार। फिर सरकार से तर्कहीन तकरार। और अब सुप्रीम कोर्ट पर वार। भैय्या,ये कैसी ज़िद,कैसा अहंकार।
इसके पहले किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए बताया था कि हमने कल ही कहा था कि हम ऐसी किसी समिति के समक्ष उपस्थित नहीं होंगे। हमारा आंदोलन हमेशा की तरह आगे बढ़ेगा। इस समिति के सभी सदस्य सरकार समर्थक हैं और सरकार के कानूनों को सही ठहरा रहे हैं।
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