नयी दिल्ली। निर्वाचन आयोग (ईसी) ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि पूरे देश में नियमित अंतराल पर मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) करने का कोई भी निर्देश आयोग के विशेष अधिकार क्षेत्र पर अतिक्रमण होगा।शीर्ष अदालत में दायर एक जवाबी हलफनामे में आयोग ने कहा कि किसी अन्य प्राधिकरण के हस्तक्षेप के बिना संशोधन की नीति पर उसका पूर्ण विवेकाधिकार है।
आयोग ने कहा कि बिहार को छोड़कर, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सभी मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) को संबोधित अपने 5 जुलाई, 2025 के पत्र के माध्यम से, आयोग ने। जनवरी, 2026 को अर्हता तिथि मानते हुए मतदाता सूचियों के एसआईआर के लिए तत्काल पूर्व-संशोधन गतिविधियां शुरू करने का निर्देश दिया है।
हलफनामे में कहा गया है कि आयोग को मतदाता सूची की तैयारी और संशोधन की निगरानी के लिए संवैधानिक एवं वैधानिक शक्तियां प्राप्त हैं। इसमें कहा गया, देश भर में नियमित अंतराल पर एसआईआर आयोजित करने का कोई भी निर्देश आयोग के विशेष अधिकार क्षेत्र पर अतिक्रमण होगा।
हलफनामा अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर दायर किया गया है, जिन्होंने आयोग को पूरे भारत में, विशेष रूप से चुनावों से पहले, नियमित अंतराल पर मतदाता सूचियों का एसआईआर कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल भारतीय नागरिक ही देश की राजनीति और नीति के संबंध में निर्णय लें।
आठ सितंबर को न्यायालय ने निर्देश दिया था कि बिहार में मतदाता सूचियों की एसआईआर प्रक्रिया में मतदाताओं के पहचान प्रमाण के रूप में आधार कार्ड को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाना चाहिए। न्यायालय ने आयोग को 9 सितंबर तक इस आदेश को लागू करने का निर्देश दिया था।
अपने जवाबी हलफनामे में आयोग ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत संसद और प्रत्येक राज्य की विधानसभा के लिए सभी चुनावों के सिलसिले में मतदाता सूची तैयार करने और उनके संचालन की निगरानी, निर्देशन और नियंत्रण आयोग पर निर्भर है। हलफनामे में कहा गया है, उक्त संवैधानिक प्रावधान मतदाता सूची तैयार करने और चुनाव कराने से संबंधित सभी मामलों में आयोग के पूर्ण अधिकार का आधार है।
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